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Wednesday, 12 March 2014

विषैला भोजन परोसने वालों पर रहम नहीं : हाईकोर्ट

** मिड-डे मील सप्लाई करने वाली संस्था की याचिका खारिज 
** खाने में मरी छिपकली मिलने पर सरकार ने ठेका किया था रद
बच्चे देश का भविष्य होते हैं। उन्हें अच्छा व स्वस्थ भोजन मुहैया कराने की जिम्मेदारी सरकार की होती है और इसी उद्देश्य से मिड-डे मील की योजना भी शुरू की गई है। सरकार ने इसकी जिम्मेदारी विभिन्न संस्थाओं को दी है। अगर कोई संस्था अपने कार्य में लापरवाही बरतते हुए बच्चों को जहरीला व घटिया भोजन परोसती है तो उसके साथ किसी भी प्रकार की नरमी नहीं बरती जा सकती। यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मनमोहन ने रॉयल एजुकेशनल एंड सोशल वेलफेयर सोसायटी की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया है।
सोसायटी ने याचिका के माध्यम से दिल्ली सरकार द्वारा जारी उस आदेश को रद किए जाने की मांग की थी। जिसके तहत सोसायटी के द्वारा तैयार मिड-डे मिल में तीन बार छिपकली मिलने की वजह से उसका ठेका रद कर काली सूची में डाल दिया गया था। खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि एक बार किसी भोजन में छिपकली मिलना इत्तेफाक हो सकता है, मगर बार-बार उसी संस्था द्वारा तैयार मिड-डे मील में छिपकली का मिलना दर्शाता है कि वे किस कदर लापरवाह हैं। बच्चों को विषैला भोजन देने के मामले में किसी भी प्रकार की नरमी की गुंजाइश नहीं है।
यह था मामला : 
दिल्ली सरकार ने 29 सितंबर, 2009 को रॉयल एजुकेशनल एंड सोशल वेलफेयर सोसायटी को तीन वर्ष के लिए स्कूलों में मिड-डे मील पहुंचाने का ठेका दिया था। सोसायटी द्वारा 26 नवंबर, 2010 को सवरेदय कन्या विद्यालय मंगोलपुरी में पहुंचाए गए भोजन में मरी छिपकली निकली। फिर 25 अगस्त, 2011 को सवरेदय कन्या विद्यालय पूठकलां में भोजन में मरी छिपकली निकली। यह भोजन खाने से 10 बच्चे बीमार हो गए। 29 अगस्त, 2011 को राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रोहिणी सेक्टर-20 के मिड-डे मील से जिंदा छिपकली निकली। इसके बाद सरकार ने जांच कमेटी गठित कर 4 जनवरी, 2013 को सोसायटी का ठेका रद कर काली सूची में डाला।                                                                               djndhl

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