झज्जर : पिछले दस सालों में शिक्षा के लिए अनेक स्कूल व कॉलेज तो खुले हैं। वहीं अनेक योजनाएं भी लागू हुई हैं। लेकिन शिक्षा के स्तर में लगातार गिरावट आती जा रही है। चाहे वह कक्षा कोई भी क्यों न हो। खास कर उच्च शिक्षा का स्तर अधिक गिर रहा है। शिक्षा की नींव आज अक्ल की बजाय नकल पर ही जा टिकी है। लोगों का मानना है कि चाहे सरकारी स्कूल हों, निजी स्कूल हों या फिर कालेज ही क्यों न हों हर तरफ नकल का दौर जारी है। लोगों का मानना है कि कुछ बच्चे ही मेहनत करते हैं। लेकिन नकलची उनसे भी आगे निकल जाते हैं।माता गेट निवासी विश्वपाल का कहना है कि सरकार शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए चाहे कितने ही दावे क्यों न करे। लेकिन हालात विपरित ही हैं। कक्षा चाहे कोई भी क्यों न हो नकल के बल पर अधिकांश विद्यार्थी ही पास होते हैं।
अंबेडकर चौक निवासी जयपाल का कहना है कि दस साल में जिले को अनेक स्कूल व कालेज तो खुले हैं। इसके बावजूद बच्चे नकल पर ही अधिक विश्वास करते हैं। क्योंकि स्कूलों में पढ़ाई का स्तर कमजोर हो रहा है। बेरी गेट निवासी रविंद्र कुमार का कहना है कि आरटीई लागू होने के बाद आठवीं तक के बच्चों को फेल न करना भी शिक्षा के स्तर का पलीता लगा रहा है। सरकार को बच्चों को फेल पास अवश्य करना चाहिए। फ्रेंड्स कालोनी निवासी करण का कहना है कि झज्जर में स्कूलों में अध्यापक बच्चों को कम पढ़ाते हैं और राजनीति अधिक करते हैं। जिसके कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई का नुकसान अधिक होता है। बेरी गेट निवासी आशू का कहना है कि सरकार ने बच्चों को परीक्षाओं से पहले ही पुस्तके दी हैं। जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हुई है। अब परीक्षाएं शुरू हो गई। ऐसी स्थिति में शिक्षा का स्तर कैसे सुधरेगा। सीता राम गेट निवासी दिनेश का कहना है कि बड़ी कक्षाएं हो या छोटी कक्षाएं अधिकांश विद्यार्थी अकल पर कम नकल पर अधिक विश्वास करते हैं। जिससे शिक्षा स्तर सुधरने की बजाए गिरता अधिक है। dj
अंबेडकर चौक निवासी जयपाल का कहना है कि दस साल में जिले को अनेक स्कूल व कालेज तो खुले हैं। इसके बावजूद बच्चे नकल पर ही अधिक विश्वास करते हैं। क्योंकि स्कूलों में पढ़ाई का स्तर कमजोर हो रहा है। बेरी गेट निवासी रविंद्र कुमार का कहना है कि आरटीई लागू होने के बाद आठवीं तक के बच्चों को फेल न करना भी शिक्षा के स्तर का पलीता लगा रहा है। सरकार को बच्चों को फेल पास अवश्य करना चाहिए। फ्रेंड्स कालोनी निवासी करण का कहना है कि झज्जर में स्कूलों में अध्यापक बच्चों को कम पढ़ाते हैं और राजनीति अधिक करते हैं। जिसके कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई का नुकसान अधिक होता है। बेरी गेट निवासी आशू का कहना है कि सरकार ने बच्चों को परीक्षाओं से पहले ही पुस्तके दी हैं। जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हुई है। अब परीक्षाएं शुरू हो गई। ऐसी स्थिति में शिक्षा का स्तर कैसे सुधरेगा। सीता राम गेट निवासी दिनेश का कहना है कि बड़ी कक्षाएं हो या छोटी कक्षाएं अधिकांश विद्यार्थी अकल पर कम नकल पर अधिक विश्वास करते हैं। जिससे शिक्षा स्तर सुधरने की बजाए गिरता अधिक है। dj
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