राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने मौलिक शिक्षा विभाग की ओर से 25 से 28 मार्च तक प्रस्तावित तीसरी और पांचवींं कक्षा की परीक्षा शैली पर सवालिया निशान उठाए हैं। इस मुद्दे पर शुक्रवार को टाउन पार्क में प्राथमिक शिक्षक संघ की आपात बैठक हुई। जिसकी अध्यक्षता जिला प्रधान प्रदीप कौर ने की। बैठक में विभाग के आदेश पर गहरा रोष प्रकट किया गया।
जिला प्रधान प्रदीप कौर ने कहा कि अभी तक प्राथमिक कक्षाओं की परीक्षा सीसीई पैटर्न पर ली जाती रही है। इसके तहत प्रति माह बच्चों की बौद्धिक क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है। लेकिन अब मौलिक शिक्षा विभाग ने फरमान जारी किया है कि तीसरी और पांचवीं कक्षा के बच्चों की परीक्षा ली जाएगी। जिसमें पर्यवेक्षक लेक्चरर होंगे। उन्होंने सवाल उठाया कि जब लेक्चररों ने बाल मनोविज्ञान का अध्ययन ही नहीं किया है। वे बच्चों के मानसिक व बौद्धिक स्तर को कैसे जान सकते हैं। उन्होंने कहा कि विभाग इस मूल्यांकन पद्धति से क्या साबित करना चाहता है। स्कूलों के वार्षिक कैलेंडर के अनुसार 24 मार्च को प्रवेश उत्सव मनाया जाना प्रस्तावित है। जिससे पहले सभी स्कूली बच्चों को अगली कक्षा में पदोन्नति दे दी जाएगी। इस स्थिति में 25 मार्च से ली जाने वाली परीक्षा का क्या औचित्य है।
उन्होंने कहा कि अभी तक विभाग की ओर से परीक्षा के संबंध में न तो कोई पाठ्यक्रम जारी किया गया है और न ही पैटर्न के बारे में बच्चों या अध्यापकों को जानकारी दी गई है। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत आठवीं कक्षा तक के बच्चों को परीक्षा मुक्त स्कूली माहौल का प्रावधान है और शिक्षक उसी के अनुरूप अध्यापन कार्य कर रहे हैं। dbhsr
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