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Saturday, 13 June 2015

स्कूल टीचर को बना दिया एसो. प्रोफेसर

** एमडीयू में नियम ताक पर : कुलपति की जांच कमेटी की रिपोर्ट में हुआ खुलासा 
रोहतक : जाटसीसे स्कूल के मैथ टीचर डॉ. विनय मलिक को तथ्य छिपाकर और मानकों को दरकिनार कर एमडीयू के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में बतौर कोऑर्डिनेटर (एसोसिएट प्रोफेसर)तैनात कर दिया गया। खुलासा कुलपति की जांच कमेटी की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट को 15 को कार्यकारी परिषद (ईसी) की बैठक में रखा जाएगा। 
वर्ष 2014 में डीडीई में डेपुटेशन पर एक कोऑर्डिनेटर को तैनात किया जाना था। इस पद के लिए लेक्चरर या सहायक प्रोफेसर पद का आठ साल का टीचिंग अनुभव मांगा गया था। इसके लिए तीन फार्म एमडीयू पहुंचे, लेकिन साक्षात्कार के लिए सिर्फ डॉॅ. विनय मलिक को बुलाया गया। डॉ. विनय 2012 तक गणित टीचर रहे। यहां से एक साल के लिए गुरु जंभेश्वर विवि (जीजेयू) में डीडीई के सेल्फ फाइनेंस स्कीम (एसएफएस) में नियुक्त हुए, लेकिन जब कोऑर्डिनेटर पद के लिए एमडीयू में एप्लाई किया गया तो जीजेयू के अनुभव प्रमाण पत्र में एसएफएस का जिक्र नहीं किया गया, जबकि ये बजटेड पोस्ट थी और एसएफएस का जिक्र जरूरी था। डेपुटेशन पर एमडीयू में लगने के 5 माह बाद ही नियमित करने की अपील डाली गई, जबकि योग्यता पूरी नहीं थी। बजटेड पोस्ट होने के बाद भी बिना विज्ञापन निकाले ही 12 अगस्त 2014 को ईसी की बैठक में टेबल एजेंडा लाकर नियमित कर दिया गया। तत्कालीन कुलपति स्थापना शाखा की भूमिका संदिग्ध बनी रही। 
इधर, डॉ.विनय मलिक से संपर्क किया तो बोले, अभी दिल्ली में हूं, बाद में बात करता हूं। फिर मोबाइल ऑफ रहा। 
"कोऑर्डिनेटर तैनात करने नियमित करने का मामला विवि के अधिकारियों के संज्ञान में पहले से है। रिपोर्ट मुझे नहीं मिली है।"-- डॉ. एनएस गिल, निदेशक, डीडीई, एमडीयू। 
"जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि स्कूल टीचर को एक एसोसिएट प्रोफेसर के बराबर दर्जा दिया। मामला 15 जून की ईसी के सामने रखा जाएगा।"-- सुधीर राजपाल, कुलपति, एमडीयू। 
यह रिपोर्ट आई सामने 

  • अनुभव प्रमाण पत्र में एसएफएस शब्द छिपाया गया। 
  • अनुभव का क्राइटेरिया संबंधी कागज नहीं भेजा। 
  • भर्ती के बाद काम सही तरीके से कर पाने और दुर्व्यवहार के बारे में मिली शिकायतों का सबूत नहीं।                                                      db

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