** 106 में एक भी बच्चे का डाटा ऑनलाइन नहीं किया
कैथल : जिले के 599 स्कूलों में से 106 स्कूलों ने एक भी बच्चे का डाटा ऑनलाइन नहीं किया। डिप्टी डीईओ ने सभी स्कूल हेड और प्रिंसिपल की बैठक लेकर साफ कहा कि अगर एक सप्ताह में बच्चों का डाटा ऑनलाइन नहीं किया तो स्कूल स्टाफ को जून माह का वेतन नहीं मिलेगा।
शिक्षा विभाग के निदेशक के आदेशों पर राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय जाखौली अड्डा में जिलेभर के 49 सिम (स्कूल इंफार्मेशन मैनेजर), स्कूल हेड और प्रिंसिपल की बैठक ली गई। इस दौरान सभी खंडों के खंड शिक्षा अधिकारी भी उपस्थित रहे।
शिक्षा अधिकारियों ने कहा कि सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का ऑनलाइन डाटा हर हाल में 30 जून तक शत-प्रतिशत करना है, लेकिन जिले के 106 स्कूल ऐसे हैं। जिन्होंने एक भी बच्चे का डाटा ऑनलाइन नहीं किया। इन स्कूलों के स्कूल हेड और प्रिंसिपल को चेतावनी दी गई है कि अगर एक सप्ताह में उन्होंने डाटा ऑनलाइन करने की प्रक्रिया शुरू नहीं की तो सिम सहित स्कूल स्टाफ का वेतन रोक लिया जाएगा।
प्राइमरी के 100 स्कूलों में डाटा नहीं हुआ ऑनलाइन :
डाटाऑनलाइन करने वाले 106 स्कूलों में से 100 स्कूल प्राइमरी के हैं। स्कूल हेडमास्टर का बहाना है कि उनके पास सिम नहीं है। सिम होने के कारण वे बच्चों का डाटा ऑनलाइन नहीं करा सके। बैठक में बीईओ को भी चेतावनी दी गई है कि वे भी अपने क्षेत्र के सरकारी स्कूलों का डाटा ऑनलाइन कराएं। साथ ही स्कूलों में डाटा ऑनलाइन की फीड बैक भी लेते रहे।
डाटा कार्ड के मिलेंगे पैसे
सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को डाटा ऑनलाइन करने में सिम को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सिम का कहना है कि एक बच्चे का रिकाॅर्ड ऑनलाइन करने में कम से कम 15 मिनट लगते हैं। कई बार नेट स्लो होने के कारण कई घंटे लग जाते हैं। सिम की संख्या कम होने के कारण सभी स्कूलों का डाटा एक साथ ऑनलाइन नहीं हो सकता। इस पर शिक्षा अधिकारियों ने कहा कि सिम को शिक्षा विभाग की ओर से डाटा कार्ड के पैसे भी दिए जाएंगे। इसी प्रकार अगर स्कूल हेड को सिम नहीं उपलब्ध होता तो वह प्राइवेट तौर पर भी बच्चों का डाटा ऑनलाइन करा सकता है। इसके लिए बीईओ को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करनी होगी। इसके बाद ही उन्हें शिक्षा विभाग की ओर से पैसे दिए जाएंगे।
स्कूली बच्चों को ये मिलेंगी सुविधाएं
- बच्चों का समूचा रिकाॅर्ड ऑनलाइन होगा
- बच्चों को एसआरएन (स्कूल पंजीकृत नंबर) दिया जाएगा, जिससे बच्चे के बारे में कहीं भी बैठे अधिकारी जानकारी हासिल कर सकते हैं।
- बच्चे का एक ही एसआरएन होगा।
- देश के किसी भी कोने में बच्चे की प्रोग्रेस रिपोर्ट ऑनलाइन देखी जा सकती है।
- फर्जीवाड़े पर रोक लगने के साथ-साथ सरकार की ओर से दिए जा रहे फायदे सीधे बैंक खाते में जाएंगे, अध्यापकों का समय बचेगा।
निदेशक के आदेशों की हो रही अवहेलना : सिरोही
जिला उप शिक्षा अधिकारी शमशेर सिंह सिरोही ने कहा कि स्कूल हेड अौर प्रिंसिपल को बच्चों का डाटा ऑनलाइन करने के बारे में कई बार कह चुके हैं। अभी तक जिले भर में 54 प्रतिशत बच्चों का डाटा ऑनलाइन हुआ है, लेकिन जिले के 106 स्कूल शिक्षा विभाग के निदेशक के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। अगर इन स्कूलों ने एक सप्ताह में एक भी बच्चे का डाटा ऑनलाइन नहीं किया तो इस बार उन्हें सेलरी नहीं मिलेगी। db
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