** गोलमाल : बीते दाे सालों में ही करीब 22 हजार विद्यार्थियों ने किया आवेदन और शिक्षा बोर्ड होता गया मालामाल
** कॉपी जांचने पर उठ रहे सवाल, विशेषज्ञ बोले- परीक्षकों पर कार्रवाई क्यों नहीं
हिसार : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड में रिवैल्यूएशन (पुनर्मूल्यांकन) के नाम पर विद्यार्थियों से करोड़ों रुपयों की वसूली का खेल चल रहा है। पिछले पांच सालों में पुनर्मूल्यांकन के मामले बढ़ने के साथ ही बोर्ड को 9.49 करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी हुई। साल 2014 2015 के आंकड़ों पर गौर करें तो करीब 22 हजार विद्यार्थियों ने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि कॉपियां जांचने में कहीं कहीं खामी हैं। साथ ही लापरवाही के साथ कॉपी जांचने वाले शिक्षकों के साथ बोर्ड कब सख्ती बरतेगा, यह सवाल भी उठ रहा है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी ने हिसार स्थित सेक्टर-14 निवासी डाॅ. संदीप गुप्ता की आरटीआई के सवालों के जवाब भेजे तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
वैसे तो बोर्ड ने आठ में से सिर्फ तीन जवाब ही भेजे हैं। जो जवाब भेजे हैं, उसमें जानकारी दी है कि बोर्ड पुनर्मूल्यांकन का रिकाॅर्ड अपने पास सिर्फ एक साल के ही सुरक्षित रखता है। पुनर्मूल्यांकन के सहायक सचिव की तरफ से भेजे गए जवाब में कुल इन पांच वर्षों में कितने आवेदन हुए इसकी जानकारी तो नहीं, मगर अब तक करीब 9.49 करोड़ की आय का जरूर हिसाब भेजा है।
10 फीसदी से अधिक अंक बढ़े तो लौटते हैं 500 रुपये
पुनर्मूल्यांकनके लिए प्रति सब्जेक्ट विद्यार्थियों को हजार रुपये देने हाेते हैं। परीक्षा परिणाम आने के 30 दिन के अंदर ही पुनर्मूल्यांकन का आवेदन करना होता है। इन विद्यार्थियों का रिजल्ट 60 दिन के अंदर घोषित हो जाता है। यदि किसी विद्यार्थी के 10 फीसदी से अधिक अंक बढ़ते हैं तो बोर्ड की तरफ से 500 रुपये लौटाने का भी प्रावधान है। ऐसे ही विद्यार्थी के 90 फीसदी से अधिक अंक आने पर पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं।
बोर्ड काे पांच साल के अंदर हुई कमाई का आंकड़ा
वर्ष आय
2010-11 28,62,745
2011-12 94,41,585
2012-13 1,96,54,625
2013-14 2,94,39,058
2014-15 3,35,55,240
पांच साल में हुई कुल आय: 9,49,53,253
कॉपी जांचने वाले शिक्षकों की योग्यता संदेह में
वर्ष 2014 में 12वीं में 4722 तो 10वीं में 2250 विद्यार्थियों ने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया। ऐसे ही इस वर्ष 12वीं में 10521 और 10वीं में 4416 ने दोबारा से काॅपी जंचवाने के लिए आवेदन किया। करीब 22 हजार से अधिक विद्यार्थियों को शक हुआ कि कॉपी ठीक से नहीं जांची गईं। रिवैल्यूएशन का मतलब है कि पेपर का पुनर्मूल्यांकन। पुनर्मूल्यांकन कराने वाले छात्रों को विश्वास होता है कि उसने पेपर तो सही किया है, लेकिन उसकी काॅपी की जांच में लापरवाही हुई है। बीते सालों में पुनर्मूल्यांकन कराने वालों की बढ़ती तादाद से कॉपी जांचने वाले शिक्षकों की योग्यता संदेश के घेरे में है।
बोर्ड का पूरा सिस्टम की गलत है
" यदि कोई विद्यार्थी पहले फेल हो और पुनर्मूल्यांकन में पास हो जाए तो सवाल खड़ा होना लाजिमी है। क्योंकि इसमें विद्यार्थी की तो गलती नहीं है। इसमें कॉपी जांचने वाले शिक्षकों की गलती है, इन पर भी कार्रवाई हो। शिक्षा बोर्ड का पूरा सिस्टम ही गलत है। इसमें सुधार के लिए मैं हाईकोर्ट जाऊंगा।''-- डाॅ.संदीप कुमार गुप्ता, आरटीआई लगाने वाले
"पुनर्मूल्यांकन के बाद यदि विद्यार्थी के अंक बढ़ते हैं या फिर पास होता है तो ऐसे में कॉपी जांचने वाले शिक्षक की जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए। दूसरा सवाल यह है कि जब पुनर्मूल्यांकन का रिजल्ट आता है ताे कॉलेजों में एडमिशन प्रक्रिया पूरी हो जाती है। इसलिए बोर्ड को ऐसे बच्चों के एडमिशन की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए।''-- आरसिंधु, प्रदेश उपाध्यक्ष, हरियाणा मान्यता प्राप्त स्कूल संगठन। db
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