कोटा : इस साल देश की सबसे बड़ी तीन परीक्षाओं की पारदर्शिता ही सवालों के घेरे में गई है। देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी और सीबीएसई की ओर से यह एग्जाम करवाए गए थे। अव्यावहारिक नियम और आखिरी समय पर बढ़ाई गई नेगेटिव मार्किंग से छात्र खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। वे विरोध भी कर रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है।
जेईई मेन्स में एक सही जवाब समझने के लिए छात्रों ने प्रति सवाल 1 हजार शुल्क जमा कराया। ऐसी 16 हजार आपत्तियों पर छात्रों के 1 करोड़ 60 लाख रुपए खर्च हो गए, लेकिन जवाब एक का भी नहीं मिला। एक स्टूडेंट तो 45 सवालों के जवाब समझना चाहता था। इसके लिए उसने 45 हजार रुपए जमा कराए, लेकिन जवाब नहीं मिला। वजह पूछी तो जवाब मिला- हमारी आंसर की ही जवाब है। स्टूडेंट ज्यादा जानना चाहता है तो आरटीआई लगाए। जेईई एडवांस के आर्गेनाइजिंग चेयरमैन (आईआईटी मुंबई) ने बताया कि हमारा पैटर्न कभी फिक्स नहीं रहता। db
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