चंडीगढ़ :
हरियाणा के सरकारी कर्मचारी लंबे समय से जायज मांगों की अनदेखी होने पर अब
सरकार के साथ निर्णायक लड़ाई के मूड में हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का
सर्व कर्मचारी संघ के सामूहिक प्रतिनिधिमंडल के साथ न मिलने का निर्णय भी
सरकार के लिए परेशानी का सबब बनने वाला है। सर्व कर्मचारी संघ से जुड़ी
यूनियनों ने सरकार को अपनी ताकत का अहसास कराने का निर्णय लिया है। शिक्षा
क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों की मांगों को लेकर बड़ा आंदोलन शुरू करने का
जिम्मा हरियाणा राजकीय विद्यालय अध्यापक संघ को सौंपा गया है। शिक्षक जिला व
खंड स्तरीय प्रदर्शन कर शिक्षा विभाग की नीतियों की पोल खोलेंगे।
रोडवेज
का जिम्मा हरियाणा रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी देख रही है। 2 सितंबर को
कमेटी ने चक्का जाम का ऐलान किया हुआ है। साथ ही सभी सरकारी विभागों के
कर्मचारी भी कार्यालयों में काम ठप करेंगे। सरकार ने अगर जल्द कर्मचारी
संगठनों को नहीं साधा तो आंदोलन लोगों के लिए भी परेशानी का कारण बनेगा।
उधर, ऑल हरियाणा रोडवेज वर्कर्स संयुक्त एक्शन कमेटी भी सरकार की निजी बसों
को लीज पर लेने की स्कीम के विरोध में आ गई है। परिवहन मंत्री के साथ
वार्ता में कमेटी सदस्यों ने लीज स्कीम पर सहमति जताई थी, लेकिन कर्मचारी
तालमेल कमेटी के कड़े रुख को देखते हुए अब संघर्ष समिति ने अब स्टैंड बदल
दिया है। संघर्ष समिति जींद में राज्य स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में
रोडवेज कर्मचारियों की मांगों व समस्याओं के प्रति सरकार के रवैये की
समीक्षा करेगी। dj
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