.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Monday, 7 October 2013

सरकारी स्कूलों के प्राचार्यों ने लगाया उपेक्षा का आरोप


पंचकूला :  हरियाणा स्कूल एजूकेशन आफिसर एसोसिएशन की राज्य कार्यकारिणी की एक बैठक आज यहां सेक्टर सात के सीनियर सेकंडरी स्कूल में आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता राज्य प्रधान महेंद्र सिंह चौहान ने की। इसमें सरकारी स्कूलों के प्राचार्यों की उपेक्षा का आरोप लगाया गया। सरकार से 76 सौ का ग्रेड पे और प्रथम श्रेणी का दर्जा देने की मांग को लेकर 16 अक्तूबर को सभी जिलों में मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्तों को ज्ञापन देने का निर्णय लिया गया।
 प्राप्त जानकारी के अनुसार बैठक में छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार प्राचार्यों को 76 सौ का ग्रेड पे न देने के लिये सरकार की आलोचना की गई। इस समय राज्य में प्राचार्यों को 6000 का ग्रेड पे दिया जा रहा है। राज्य प्रधान के अनुसार उत्तर भारत के अन्य किसी राज्य में इतना कम पे ग्रेड प्राचार्यों को नहीं है। बैठक में सरकार ने मांग की गई कि प्राचार्यों को श्रेणी एक का दर्जा दिया जाये। इस समय उन्हें श्रेणी-दो का दर्जा हासिल है। उन्होंने कहा कि आज शिक्षा विभाग में सर्वाधिक उपेक्षित प्राचार्य ही हैं। वर्ष 2006 के बाद प्राचार्यों की वरिष्ठïता सूची जारी न करने के लिये भी सरकार की आलोचना की गई।
महासचिव बिक्रम सिंह सहरावत ने कहा कि प्राचार्यों पर मिड डे मील, खाद्य सुरक्षा अधिनियम, निर्माण कार्य, चुनावी ड्ïयूटी, आरटीआई जैसे गैर शैक्षणिक कार्यों का बोझ बढ़ाया जा रहा है। इससे स्कूलों में पढ़ाई का कार्य प्रभावित हो रहा है। बोर्ड परीक्षा के परिणाम पर भी असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों में प्राचार्य ही ऐसा वर्ग है जिन्हें 1-1-96 और 1-1-2006 से केंद्र के समान वेतनमान नहीं दिया गया। स्कूल प्राचार्यों को सेमेस्टर ब्रेक और गर्मियों की छुट्टिïयों में भी कार्य करना पड़ता है लेकिन इसके बदले उन्हें अर्जित अवकाश नहीं दिया जाता जबकि कालेज प्राचार्यों, स्कूल लिपिकों व चपड़ासियों को यह सुविधा प्राप्त है। राज्य में 213 स्कूलों का चयन मॉडल स्कूल के रूप में कर उनमें मूलभूत सुविधायें उपलब्ध कराई गईं। प्राचार्यों के अथक प्रयासों से इनमें विज्ञान व कामर्स संकाय में विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा भी हुआ लेकिन अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई। कुछ स्कूल शहरी क्षेत्रों में हैं। तबादला- नीति ऐसी है कि प्रथम पदोन्नति अथवा सीधी नियुक्ति इनमें नहीं की जाती। इस नीति में संशोधन किया जाना चाहिये। बैठक में सरकार से यह भी मांग की गई कि लघु मरम्मत कार्य और निर्माण के मामले में बिल्डिंग फंड नियम में बदलाव किया जाये और खर्च की सीमा को बढ़ाया जाये ताकि जारी निर्माण कार्य प्रभावित न हो। श्री चौहान व श्री सहरावत के अनुसार 16 अक्तूबर को सभी जिलों में मांगों को लेकर उपायुक्तों को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया जायेगा। इसके बाद एक दिन का सामूहिक अवकाश लिया जायेगा। इसकी तिथि जल्द घोषित की जायेगी। फिर भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो बैठक कर अगली रणनीति तय की जायेगी।  dt

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.