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Wednesday, 5 March 2014

अतिथि अनुदेशकों का 15 वर्ष बाद भी वेतन आठ हजार

** सीएम की घोषणाओं से भी रखा वंचित, शिक्षा विभाग मंत्री गीता भुक्कल को पत्र भेजकर आईटीआई अनुदेशकों को नियमित करने की मांग की       
प्रदेश सरकार की दोहरी नीति आईटीआई अनुदेशकों पर सितम ढाह रही है। जहां शिक्षा विभाग में कार्यरत अतिथि अध्यापक का वेतन चार बार वेतन वृद्धि से 23,500 रुपए प्रतिमाह हो गया है, वहीं लगातार 15 वर्षों से कार्यरत अतिथि अनुदेशक वेतन के नाम पर मात्र 8,000 रुपए प्रतिमाह पा रहे हैं। इतना ही नहीं अतिथि अध्यापक नियुक्ति के दो वर्ष बाद ही आकस्मिक अवकाश, मेडिकल लीव, आईडी व सर्विस बुक जैसी सुविधाएं प्राप्त करने लगे। लेकिन आईटीआई अनुदेशक वेतन वृद्धि के ही मोहताज बने हुए हैं। 
प्रदेश के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में कार्यरत अनुदेशकों ने औद्योगिक प्रशिक्षण एवं शिक्षा विभाग मंत्री गीता भुक्कल को पत्र भेजकर आईटीआई अनुदेशकों को नियमित करने की मांग की है। गवर्नमेंट आईटीआई कुरुक्षेत्र में कार्यरत अनुदेशक अनूप भारद्वाज, सुमेर चंद, अनिल वर्मा पलवल, सतविंद्र सिंह अंबाला, मनोज कुमार महम व धर्मवीर सिंह ने मंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि वर्ष 1999 से 68 अतिथि अनुदेशक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सभी अतिथि अनुदेशक खाली स्वीकृत पदों पर नियुक्त हुए थे, जिनको जिला स्तरीय चार वरिष्ठ राजपत्रित अधिकारियों की उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर, विज्ञापन देकर, साक्षात्कार द्वारा योग्यता व अनुभव के आधार पर चयन प्रक्रिया से नियुक्त किया गया था। यह विभाग द्वारा तय किए गए मापदंडों को पूर्ण करते हैं। 
15 वर्षों से दे रहे अच्छा रिजल्ट 
अतिथि अनुदेशकों ने कहा कि वे नियमित अनुदेशकों की भांति पूरी तरह से थ्योरी व प्रेक्टिकल सिलेबस करवाते हैं और पिछले 15 वर्षों से अच्छा परीक्षाफल दे रहे हैं। 
सुप्रीम कोर्ट ने रखी 7 वर्ष की छूट 
अतिथि अनुदेशकों का कहना है कि नियमित भर्ती प्रक्रिया में सर्वोच्च न्यायालय ने सभी अतिथि अनुदेशकों को नियमित भर्ती प्रक्रिया की आयु में 7 वर्ष की छूट एवं कुछ अन्य वेटेज देने का महत्वपूर्ण निर्णय दे रखा है। 
सीएम की घोषणाओं से वंचित रखा 
अतिथि अनुदेशकों का आरोप है कि प्रदेश में उनकी संख्या मात्र 68 है। उनकी संख्या कम होने और विभाग के नकारात्मक रवैये के कारण उन्हें सीएम की घोषणाओं से वंचित रखा गया है। जबकि अतिथि अध्यापकों को दो वर्ष बाद ही सुभी सुविधा जैसे आकस्मिक अवकाश, मेडिकल लीव, आईडी एवं सर्विस बुक सहित 7 जनवरी 2008 से 21 सितंबर 2011 तक चार वेतन वृद्धि मिल चुकी हैं। जबकि आईटीआई विभाग में कार्यरत अतिथि अनुदेशकों को केवल अधिकतम वेतन 8 हजार रुपए प्रतिमाह तथा अन्य कोई सुविधा नहीं दी गई है। 
"अतिथि अनुदेशकों का मामला सरकारी स्तर पर विचाराधीन है। उक्त अनुदेशकों के बारे में सरकारी स्तर पर सोचा जा रहा है।"--डॉ. आरपी चंद्र, एडिशनल चीफ सेक्रेट्री टू गवर्नमेंट हरियाणा, इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग डिपार्टमेंट, लेबर एंड इम्प्लायमेंट डिपार्टमेंट। 
रेगुलेशन पॉलिसी में बनाई जाए कैटेगरी 
अतिथि अनुदेशकों ने मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि हरियाणा सरकार द्वारा समय-समय पर बनाई गई रेगुलेशन पॉलिसी में अतिथि अनुदेशकों की कैटेगरी को नहीं रखा गया है। इस कारणवश उन्हें हर रेगुलेशन पॉलिसी में सरकार की कल्याणकारी नीति से वंचित रहना पड़ता है। उनकी प्रार्थना है कि वर्तमान सरकार द्वारा कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने के लिए जो कमेटी गठित की गई है, वह उनकी भर्ती प्रक्रिया, योग्यता, समान कार्य, लंबे अनुभव, सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय एवं भविष्य के मद्देनजर रखते हुए विचार धीन नीति में शामिल करके नियमित करने का कष्ट करें।                                                         dbkrnl

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