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Monday, 10 March 2014

कंप्यूटर टीचर भर्ती घोटाला : शिक्षकों का पीएफ तक जमा नहीं करवाया कंपनियों ने

** धांधली कर रही कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने की मांग 
** ईएसआई को लेकर भी कंपनियों के अलग-अलग पैमाने 
** 2622 शिक्षकों के साथ धोखाधड़ी  
रेवाड़ी : कंप्यूटर टीचर भर्ती घोटाले के मामले में उन्हें लगाने वाली निजी कंपनियों की धांधली की परतें हर रोज खुल रही हैं। अवैध तरीके से सिक्योरिटी व ट्रेनिंग फीस वसूलने के बाद कंपनियों का एक और नया कारनामा सामने आया है। इन कंपनियों ने अब लेबर लॉ के तमाम नियमों को ताक पर रखकर कर्मचारियों के पीएफ व ईएसआई काटने में भी फर्जीवाड़ा किया है। 
मुख्य सचिव के आदेशों को भी ठेंगा 
प्रदेश में लगाए गए 2622 कंप्यूटर  के साथ कंपनियां धांधली कर रही हैं और सरकार चुपचाप मौन साधे बैठी है। ताजा मामला अब कर्मचारियों के पीएफ व ईएसआई को लेकर है। कर्मचारियों को उनकी नियुक्ति के बाद से छह माह तक का वेतन नहीं दिया गया। बदहाली में पहुंचे कर्मचारियों के मामले को भास्कर ने प्रमुखता से उठाया और कर्मचारियों ने अनशन किया तो अब दो दिन पूर्व ही शिक्षकों को छह की जगह महज दो माह की तनख्वाह जारी की गई। दो माह की तनख्वाह में भी कर्मचारियों का पीएफ जमा नहीं कराया गया और ईएसआई काटने में भी अलग-पैमाने अपनाए गए। हाल ही में 20 फरवरी को मुख्य सचिव की ओर से प्रदेश के सभी विभागों को पत्र भेजकर आदेश जारी किए गए थे कि वे अनुबंध पर रखे गए कर्मचारियों के लिए लेबर लॉ के सभी नियमों की पालना करें। 
इन नियमों के तहत खुद मुख्य सचिव इस बात को बेहद गंभीर माना है कि कर्मचारियों के पीएफ काटने में कंपनियां धांधली कर रही है। उन्होंने जारी निर्देशों में साफ तौर पर कहा है कि कर्मचारियों का 12 प्रतिशत पीएफ उनके खाते से तथा 13.61 प्रतिशत कंपनी खाते से कटकर उनके खाते में जमा होगा। हैरानी की बात यह है कि कंपनी ने हाल ही में जो दो माह का वेतन जारी किया है उसमें पीएफ न तो कर्मचारियों की तनख्वाह से कटा और न ही कंपनी ने खुद काटकर जमा कराया। इसके अतिरिक्त ईएसआई को लेकर भी कंपनी ने अपने ही पैमाने अपनाएं। 
नियमानुसार ईएसआई के नाम पर कर्मचारी खाते से 1.75 प्रतिशत व कंपनी खाते से 4.75 प्रतिशत राशि कटनी चाहिए। कंप्यूटर शिक्षक लगाने वाली एक कंपनी ने जहां कर्मचारियों के खाते से ईएसआई के नाम पर 1.75 प्रतिशत ही काटे हैं वहीं दूसरी कंपनी ने ईएसआई के नाम पर पूरे 6.50 प्रतिशत कर्मचारी के खाते से ही काट लिए हैं। यहीं कारण है कि एक कंपनी ने जहां कर्मचारियों को 11790 वेतन दिया है वहीं दूसरी ने 11227 ही दिए हैं। 
न किताबें पहुंची, न किया नियमों को पूरा 
शिक्षा विभाग की ओर से कंप्यूटर शिक्षक भर्ती करने के लिए जिन कंपनियों को ठेका दिया गया स्कूलों में किताबें पहुंचाने का भी जिम्मा इन्हीं कंपनियों के पास हैं। हैरानी की बात यह है कि पहला सेशन बीत चुका है लेकिन आजतक भी कंपनियों ने स्कूलों में किताबें नहीं पहुंचाई है। इसके अतिरिक्त कंपनी नाम्र्स में कहीं भी मातृत्व अवकाश का जिक्र नहीं है जबकि लेबर लॉ में मैटरनल लीव आवश्यक है। 
ब्लैक लिस्ट किया जाए कंपनियों को : महासचिव 
कंप्यूटर वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव शशिभूषण का कहना है कि कंपनियों ने कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति में प्रत्येक नियमों की अवहेलना की है। इन कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया जाए इसके लिए शिक्षा मंत्री व निदेशक से मुलाकात की जाएगी। अगर तब भी कार्रवाई नहीं हुई तो कंप्यूटर शिक्षक इन धांधलियों के खिलाफ कोर्ट में जाएंगे।                    db

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