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Wednesday, 12 March 2014

भावी शिक्षकों को नहीं आती ए,बी,सी,डी


रोहतक : गुरु को ही अक्षर ज्ञान नहीं तो शिष्य कहां से सीखें। कुछ ऐसे ही हालात बन रहे हैं, भावी शिक्षकों के अधूरे ज्ञान की वजह से। हम बात कर रहे हैं, उन जेबीटी छात्रों की, जो तैयारी तो शिक्षक बनने की कर रहे हैं, लेकिन एबीसी भी ठीक से लिखनी नहीं आती। 
गत् दिवस जिले के एक निजी जेबीटी कॉलेज में जेबीटी के छात्र अध्यापकों (विद्यार्थियों) का टेस्ट लिया गया। टेस्ट की प्रतियों को दैनिक भास्कर व कॉलेज प्रबंधन ने जांचा तो इसमें इन भावी शिक्षकों के अधूरे ज्ञान की खामियां खुलकर सामने आई। 
इस स्तर तक पहुंचे कैसे? 
सवाल उठना लाजमी है कि वे बोर्ड की परीक्षाएं भी पास कर इस स्तर तक पहुंचे कैसे तथा जिन्हें खुद सीखने की जरूरत है, वे ३ साल कोर्स पूरा कर बच्चों का भविष्य कितना संवार पाएंगे। जिले के एक निजी जेबीटी कॉलेज में कॉलेज प्रबंधन की ओर से इन भावी शिक्षकों का अंग्रेजी राइटिंग व सामान्य ज्ञान का टेस्ट लिया गया। इस टेस्ट में इन भावी शिक्षकों के उत्तर चौकाने वाले रहे। देश के उपराष्ट्रपति (डॉ. हामिद अली अंसारी) का नाम वाले सवाल पर छात्र अध्यापकों ने देश के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह तथा पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का नाम ही लिख दिया तो किसी को हरियाणा के राज्यपाल (जगन्नाथ पहाडिय़ा) का नाम तक नहीं पता। वही कई ने प्रिंसीपल और स्कूल की स्पेलिंग तक को गलत लिखा। 
हवाई जहाज को फिश तो बेटी को डाक्टर लिखा 
सामान्य शब्दों की हिंदी से अंगे्रजी लिखने में भी ढेरों गलतियां रही। किसी ने हवाई जहाज को फिश (मछली) लिखा तो किसी ने बेटी को डॉक्टर लिख दिया। हद तो तब हो गई, जब प्राथमिक स्तर की कक्षाओं की चार लाइन की अंग्रेजी की नोटबुक में छोटी बड़ी एबीसीडी का कोई अक्षर ऊपर तो कोई नीचे लिखा हुआ मिला। ये केवल एक कॉलेज के विद्यार्थियों का उदाहरण मात्र हैं। ऐसे ही ना जाने कितने कॉलेजों में शिक्षा का यही हश्र है। बता दें कि मकसद विद्यार्थियों की अशुद्धियां निकालना नहीं, बल्कि दफ्तरों में बैठकर शिक्षा स्तर सुधारने के लिए रणनीतियां बनाने वाले अधिकारियों का शिक्षा के हश्र की ओर ध्यान दिलाना है। 
12वीं की परीक्षा मेरिट में 
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड और सीबीएसई की १२वीं की परीक्षा पास करके इन विद्यार्थियों ने जेबीटी कोर्स में दाखिला लिया है। दिलचस्प बात है कि इन्होंने 12वीं की परीक्षाओं में मेरिट में स्थान हासिल किया है तथा अधिकतर विद्यार्थी प्रदेशभर के सरकारी नहीं, नामी-गिरामी निजी स्कूलों से पढ़कर यहां तक पहुंचे हैं। ये विद्यार्थियों का काउंसिलिंग के बाद प्रदेश के विभिन्न जिलों से यहां नंबर पढ़ाई के लिए कॉलेज अलॉट हुआ है। जिन्हें सामान्य ज्ञान व अंग्रेजी भाषा के प्रथम चरण का ही ज्ञान नहीं, उन्होंने बोर्ड की 10वीं व 12वीं की परीक्षा वो भी इतने अच्छे नंबरों से कैसे पास कर ली। इससे उनके शिक्षकों के इमानदारी से उन्हें पढ़ाने के साथ-साथ बोर्ड में प्रतियां जांचने वाले शिक्षकों की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लग गया है। 
नॉलेज 
प्रदेश में वर्ष 2002 से पहले 12वीं के बाद जेबीटी कोर्स होता था। सत्र 2009-10 में बीए के बाद दो साल के लिए जेबीटी कोर्स लागू किया गया। बाद में वर्ष 2011 में इसे फिर से 12वीं के बाद 2 साल का डिप्लोमा तथा 1 साल सरकारी विद्यालय में इंटर्नशिप लागू कर दिया गया। यानि अब 12वीं के बाद कुल 3 साल में जेबीटी कोर्स पूरा होता है। 
"जेेबीटी में मेरिट आधार पर विद्यार्थियों का चयन होता है। जबकि टेस्ट के आधार पर योग्य कैंडीडेट ही दाखिला ले सकते थे। दूसरा १२वं की बजाय बीए के बाद जेबीटी में दाखिला योजना ही बेहतर साबित होगी। इससे छात्र अध्यापकों का ज्ञान बढ़ेगा, जिससे वे आने वाली पीढ़ी को अच्छी तालीम दे सकें।"--डॉ. आरके शर्मा, डाइट प्रवक्ता, रेवाड़ी। 
"आज की भागदौड़ में अभिभावक अपने बच्चों के प्राथमिक स्तर से ही नोटबुक तक चेक नहीं करते। इससे बच्चों की प्राथमिक स्तर की गलतियां आगे भी बनी रहती हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वे रूटीन में बच्चों की नोटबुक चेक करें तथा विद्यालय से भी पढ़ाई की रिपोर्ट लें। बच्चों को मोबाइल, इंटरनेट के दुरुपयोग से बचाएं।"--जवाहरलाल दुहन, राज्य प्रधान, हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन                                     db

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