सीबीएसई दसवीं की परीक्षाएं दे रहे विद्यार्थियों के लिए एक अच्छी खबर यह है कि उनकी आंसर सीट इस बार नए सिस्टम से चेक होगी। ताकि टोटल मार्किंग में किसी तरह की कोई गलती न हो। सीबीएसई ने दसवीं कक्षा के पेपरों को ऑन स्क्रीन मार्किंग सिस्टम से चेक करने का फैसला लिया है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी एजुकेशन बोर्ड की ओर से ऑन स्क्रीन मार्किंग सिस्टम से पेपर चेक किए जा रहे हों। सीबीएसई के स्पेशल एग्जाम एचओडी ने बताया कि अभी यह दसवीं कक्षा में लागू किया गया है। जोकि एक ट्रायल होगा। अगर सभी ठीक ठाक रहा तो इस सिस्टम को 12वीं में भी लागू किया जाएगा। सिस्टम को अपनाने का मुख्य मकसद पेपर चेकिंग में गलतियों को रोकना। ताकि स्टूडेंट्स के रिजल्ट में किसी तरह की कोई गलती न हो पाए। इन दिनों सीबीएसई बोर्ड की दसवीं और 12वीं की परीक्षाएं चली हुई हैं।
ऐसे काम करेगा सिस्टम
पेपरों पर कोड लगाने से पहले उन्हें स्कैन किया जाएगा। उसके बाद उसे कंप्यूटर पर लोड किया जाएगा। जहां पर एग्जामिनर कंप्यूटर पर ही पेपर को चैक करेगा। इसमें कोई गलती नहीं होगी। क्योंकि जो सॉफ्टवेयर होगा वह अंसर सीट का अगला पन्ना तभी पलटेगा, जब चेक किए गए पन्ने के मार्क जुड़ जाएंगे। मार्क की पूरी टोटलिंग सॉफ्टवेयर पर ही होगी। ताकि किसी भी प्रश्न के नंबर जुड़ने से एग्जामिनर चूक न जाए। सॉफ्टवेयर के साथ कोई भी छेड़छाड़ न कर सके इसके भी पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। जिसके लिए कोड होगा। जब तक सॉफ्टवेयर का कोड नहीं डाला जाएगा तब तक काम नहीं होगा। सीबीएसई अधिकारियों का कहना है कि पहले साल एक कक्षा में सिस्टम शुरू इसीलिए किया गया है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो अगले साल से इसे दोनों बोर्ड कक्षाओं में शुरू कर दिया जाएगा। इस सिस्टम पर पिछले एक साल से सीबीएसई काम कर रहा था। जोकि जनवरी में फाइनल हो गया था और अब इसे दसवीं पेपरों की चेकिंग के लिए शुरू किया गया है। यह सिस्टम शुरू होने से एक बार फिर से सीबीएसई ने दिखाई दिया है कि वह नए नए प्रयोग कर बदलती तकनीक को अपनाने में सबसे आगे है। जिले में सीबीएसई बोर्ड के सैकड़ों स्कूल हैं जिसमें हजारों स्टूडेंटस पढ़ रहे हैं।
गलती की संभावना होगी कम
सीबीएसई के एग्जामिनरों का कहना है कि यह एक अच्छा सिस्टम है। इसमें बच्चों को भी फायदा होगा और पेपर चेक करने वालों का भी। क्योंकि आंसर सीट में अब किसी भी प्रश्न के नंबर छूट नहीं पाएंगे। कई बार यह होता है कि अंसर सीट जल्दी जल्दी चेक करने में कुछ पन्ने या प्रश्न बिना नंबर जोड़े ही छूट जाते हैं। इससे होनहार स्टूडेंट्स भी नंबरों में पीछे छूट जाते हैं। पेपर अच्छा होने और रिजल्ट में नंबर कम आने पर वह री-चेकिंग के लिए अप्लाई करता है जिससे उसका समय और धन दोनों बर्बाद होते हैं। ऑन स्क्रीन मार्किंग सिस्टम होने से गलती की संभावना बहुत कम होगी। स्टूडेंट्स जीतने नंबर का पेपर करेगा उसके उसी के हिसाब से रिजल्ट में नंबर आएंगे djymnr
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