चंडीगढ़ : हरियाणा के करीब दो सौ एडेड स्कूलों के करीब दो हजार टीचर्स के लिए हरियाणा की भाजपा सरकार नई नीति लाने वाली है। इसके तहत जब कोई टीचर रिटायर हो जाए तो वह पद समाप्त हो जाए। शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ इस संबंध में विस्तृत बात कर ली है। अब मंत्रिमंडल की बैठक में इस नीति को मंजूरी दी जाएगी। हालांकि टीचर्स इस पर सहमत नहीं हैं।
हरियाणा के सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों के प्रधान राजेंद्र शर्मा के नेतृत्व में शिष्टमंडल ने बुधवार को शिक्षा मंत्री प्रो. राम बिलास शर्मा से उनके कार्यालय में मिले। शिष्टमंडल ने मांग की है कि पिछली कांग्रेस सरकार ने उनके साथ वादा कर धोखा किया था। कांग्रेस सरकार ने वादा किया था कि अनुदान प्राप्त स्कूलों के टीचर्स को सरकारी विभाग में समायोजित किया जाएगा। इसके लिए स्कूलों के प्रबंधन ने शपथ पत्र भी दे दिए थे। मगर पिछली सरकार उन्हें लटकाती रही। शिक्षा मंत्री ने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव टीसी गुप्ता से फोन पर बात की और एडेड स्कूलों के दो हजार टीचर्स के बारे में बातचीत की। गुप्ता ने शिक्षा मंत्री को जानकारी दी कि इस संबंध में नीति बनाई जा रही है।
यह है सरकार की प्रस्तावित नीति
प्रधान राजेंद्र शर्मा ने बताया कि एडेड स्कूलों के टीचर्स के वेतन का 75 फीसदी हिस्सा सरकार एडेड स्कूलों को देती है। स्कूल प्रबंधन ने टीचर्स को सरकार से मिले अनुदान से वेतन तो दे दिया मगर अपने हिस्से का 25 फीसदी हिस्सा नहीं दिया। वे अपने हिस्से का 25 फीसदी तीन महीने के वेतन के रूप में देते हैं। इन टीचर्स का 30 से 50 महीने तक का वेतन बकाया हो गया है क्योंकि प्रबंधन ने अपने हिस्से से देने वाले पैसे से वेतन नहीं दिया है। अब सरकार नई नीति ला रही है कि इन टीचर्स के वेतन का 75 फीसदी पहले की तरह दिया जाता रहे और जब कोई टीचर रिटायर हो जाए तो वह पद समाप्त हो जाए। इस पर एडेड स्कूलों के टीचर्स प्रतिनिधि सहमत नहीं हैं। वे तो एकमुश्त शिक्षा विभाग में समायोजित होना चाहते हैं। hb
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