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Thursday, 6 August 2015

सेंकेडरी शिक्षा में सुधार के 'सिपाही' पर ही संकट

** राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत 7226 स्कूल प्राध्यापकों को इंतजार 
** केंद्र सरकार की है योजना, अभी तक नहीं मिला बजट
** माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की योजना को लग रहा है पलीता 
** इस बार हरियाणा बोर्ड का रिजल्ट खराब, केवल 47 फीसदी ही हो सके उत्तीर्ण
जींद : इस बार दसवीं बोर्ड के खराब रिजल्ट के बाद भी लग रहा है सरकार चेती नहीं है। सेकेंडरी एजुकेशन में बड़ा सुधार लाने की केंद्र सरकार की योजना बजट की भेंट चढ़ती दिख रही है, क्योंकि इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए जिन शिक्षकों को लगाया गया है, उन्हें चार माह से वेतन ही नसीब नहीं हुआ है। आखिर वेतन के अभाव में सेकेंडरी एजुकेशन की गुणवत्ता में सुधार का लक्ष्य कैसे परवान चढ़ेगा। हरियाणा बोर्ड की दसवीं परीक्षा में केवल 47 फीसदी छात्रों का उत्तीर्ण होना सेकेंडरी एजुकेशन की गुणवत्ता की दशा बयां कर रहा है।दरअसल, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) को बजट न मिलने के कारण प्रदेशभर के 7226 स्कूल प्राध्यापकों के सामने रोटी के लाले पड़े हुए हैं। बजट न होने के कारण उन्हें वेतन नहीं मिल पा रहा है। यह योजना केंद्र सरकार की है, बजट भी केंद्र सरकार मुहैया करवाती है लेकिन इस बजट का वितरण राज्य सरकार ही करती है। अभी तक प्रदेश में आरएमएसए योजना का बजट नहीं मिला है। बजट न मिलने के कारण स्कूल प्राध्यापकों का वेतन भी नहीं मिल रहा है। अभियान के तहत जींद जिले में 466 स्कूल प्राध्यापक कार्यरत हैं। जो वेतन का इंतजार कर रहे हैं। 
"राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) में लगे स्कूल प्राध्यापकों का वेतन योजना के बजट से आता है। बजट न मिलने के कारण योजना में लगे स्कूल प्राध्यापकों को वेतन नहीं मिला है। बजट आते ही वेतन ड्रा करवा दिया जाएगा।"-- जोगेंद्र हुड्डा, जिला शिक्षा अधिकारी हसला प्रदेशाध्यक्ष का कहना
हसला प्रदेशाध्यक्ष दयानंद दलाल ने बताया कि आरएमएसए अभियान को बजट न मिलने से प्रदेशभर में अभियान के तहत लगे 7226 स्कूल प्राध्यापक परेशान हैं। सेकेंडरी एजुकेशन के निदेशक एलएल कौशिक से मिलकर समस्या से अवगत करवाया जा चुका है, जबकि शिक्षा विभाग में प्लान व नॉन प्लान कर्मियों का वेतन नियमित ड्रा हो रहा है। सरकार को चाहिए कि आरएमएसए के तहत लगे प्राध्यापकों को वेतन दे।
क्या है आरएमएसए
वर्ष 2007 में केंद्र ने सेकेंडरी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए आरएमएसए की शुरूआत की थी। अभियान में शिक्षा सुधार से संबंधित कदमों को शामिल किया था। जिसमें स्कूलों के पास स्थापना करना, स्कूलों को अपग्रेड करना, स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं, शैक्षणिक सामग्री को उपलब्ध करवाना रहा है। योजना के तहत प्रदेश में 7226 स्कूल प्राध्यापकों को शामिल किया था। अभियान में लगे प्राध्यापकों का वेतन भी आरएमएसए से बजट से आता है। मार्च माह के बाद आरएमएसए में कार्यरत स्कूल प्राध्यापकों को वेतन ही नहीं मिल रहा है। 
अब सिर्फ इंतजार 
आरएमएसए अभियान में लगे 7226 स्कूल प्राध्यापकों को पिछले चार माह से वेतन न मिलने के कारण चुल्हा चौका चलाना मुश्किल हो गया है। अभियान के तहत लगे स्कूल प्राध्यापकों का कहना है कि पिछले चार माह से वेतन न मिलने के कारण उनका घरेलू बजट बिगड़ गया है। हर माह वेतन का इंतजार करते हैं लेकिन ऊपर से बजट न आने की बात कहकर अगले महीने का इंतजार करने के सिवाए कोई चारा नहीं है। अगर हर माह वेतन न मिले, घर तथा खुद की जरूरतों को पूरा करने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है।                                                                      hb

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