** 'केंद्रीय मंत्री ने शिक्षा के भगवाकरण का आरोप खारिज किया' कहा, संविधान में सूचीबद्ध तीन भाषाओं को पढ़ाने का फामरूला बहुत स्पष्ट
नई दिल्ली : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि उन्होंने पाठ्यक्रम में संस्कृत को अनिवार्य भाषा बनाने की मांग खारिज कर दी है। इसके बावजूद उन पर शिक्षा का भगवाकरण करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। उनके मुताबिक संविधान के अनुच्छेद आठ में सूचीबद्ध 23 भारतीय भाषाओं में से किन्ही तीन भाषाओं को पढ़ाए जाने का फामरूला बहुत ही स्पष्ट है।1एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि जो लोग उन पर आरएसएस का चेहरा होने या प्रतिनिधि होने का आरोप लगाते हैं, वह उनके अच्छे काम से लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह इन हमलों के लिए तैयार हैं और उन्हें कोई परेशानी नहीं है।
धर्म से ऊपर संविधान को रखा
स्मृति ने कहा कि वह नहीं समझ पा रहीं कि इन विषयों में धर्मनिरपेक्षता क्यों आहत होती है और शिक्षा के भगवाकरण का सवाल क्यों उठाया जाता है। मैंने इन मामलों में धर्म से ऊपर संविधान को रखकर निर्णय लिए हैं।
जर्मन को तीसरी भाषा बनाने की जांच
केंद्र के संचालित 500 केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन भाषा की जगह संस्कृत को बतौर तीसरी भाषा पढ़ाने के विवादास्पद फैसले पर बताया कि इस विषय में 2011 में हस्ताक्षर किया गया एमओयू असंवैधानिक था। जर्मन को तीसरी भाषा के तौर पर पढ़ाया जाना संविधान का उल्लंघन है। इस विषय में एमओयू क्यों साइन किया गया, इस पर जांच बैठाई जा चुकी है। उन्होंने कहा कि विदेशी भाषा के तौर पर जर्मन पढ़ाई जाती रहेगी। अगर फ्रेंच, मंडारिन पढ़ाई जा सकती है, तो जर्मन क्यों नहीं।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति
अगले साल से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाने के संबंध में उन्होंने कहा कि इस कवायद में शिक्षा से जुड़े सभी वर्गो को शामिल किया जाएगा। शिक्षाविदों और विशेषज्ञों की राय के साथ ही पाठ्यक्रमों पर विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों की भी राय ली जाएगी। उन्होंने कहा कि छात्रों से बातचीत में देखा गया कि वह विषयों में कुछ विकल्प ऐसे चाहते हैं जो उन्हें भविष्य के लिए तैयार करें और कुछ विषय ऐसे चाहते हैं जो व्यावहारिक और आज की दुनिया के हों। दसवीं में फिर से बोर्ड परीक्षा कराने की मांग पर उन्होंने कहा कि ये फैसला सीएबीई को लेना है। dj
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