चंडीगढ़ : पंजाब के समान वेतनमान नहीं। कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का मामला ठंडे बस्ते में। अब सेवानिवृत्ति आयु में भी कटौती। पंजाब के समान वेतनमान न दिए जाने पर कर्मचारी आक्रोश की चिंगारी को दबाए बैठे थे, जिसे सरकार ने सेवानिवृत्ति आयु में दो वर्ष की कटौती कर हवा दे दी है।
कदम-कदम पर झटके लगने से कर्मचारियों के सब्र का बांध टूटता दिखाई पड़ रहा है। कर्मचारी सेवानिवृत्ति आयु साठ वर्ष ही कराने के मंसूबे पाले हुए हैं, जो सरकार के सख्त रवैये को देखते हुए संभव नहीं लग रहा। इससे आने वाले दिनों में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसकी वजह यह भी है कि राज्य कर्मचारी पंजाब के समान वेतनमान और सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के लिए पूर्व सरकार के समय लंबा आंदोलन कर चुके हैं। भाजपा सरकार का ताजा फैसला आम जनता पर भी भारी पड़ने वाला है। सरकारी विभागों में नई भर्ती रुकी हुई है और सेवानिवृत्ति उम्र कम किए जाने से बड़ी संख्या में एक साथ कर्मचारी रिटायर होंगे। इससे सरकारी विभागों का कामकाज पटरी से उतर सकता है। अगले दो वर्ष में पचास से साठ हजार के बीच कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे, जबकि इसी महीने तीस नवंबर तक लगभग पांच हजार कर्मचारियों की विदाई होनी है। सरकारी विभागों, बोर्ड, निगमों और विश्वविद्यालयों में पहले से ही लाखों पद खाली चल रहे हैं। नई भर्ती न होने व अचानक बड़ी संख्या में रिटायरमेंट से व्यवस्था गड़बड़ा जाएगी।
निर्णय वापस नहीं तो आंदोलन : लांबा
सर्व कर्मचारी संघ के महासचिव सुभाष लांबा का कहना है कि सरकार अपना निर्णय वापस नहीं लेती है तो कर्मचारी आंदोलन को मजबूर होंगे। सरकार के निर्णय की समीक्षा कर अगली रणनीति तैयार की जाएगी। संघ ने हिसार में 30 नवंबर को केंद्रीय कोर समिति की आपात बैठक बुलाई है। इसमें ही आंदोलन का स्वरूप और अन्य रणनीति पर चर्चा होगी। सरकार का निर्णय बदले की भावना से उठाया गया कदम है।
अनेक भाजपा शासित राज्यों में साठ साल सेवानिवृत्ति उम्र:
आइएएस अधिकारियों, केंद्रीय कर्मियों, पंजाब, राजस्थान व मध्यप्रदेश इत्यादि भाजपा शासित राज्यों में कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु साठ साल है। जबकि यहां भाजपा सरकार ने कर्मचारियों से यह सुविधा छीन ली है। कर्मचारी ये सवाल उठा रहे हैं कि हरियाणा में ये निर्णय क्यों लिया गया। dj
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