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Friday, 28 November 2014

शिक्षा विभाग का हाल : तबादलों में ‘सुपर हीरो’, परिणाम में जीरो

चंडीगढ़ : भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों को आमतौर पर ट्रेनिंग के लिए मसूरी, देहरादून और बेंगलुरू जैसे केंद्रों पर भेजा जाता है, लेकिन  हरियाणा में तो सेकेंडरी एजुकेशन विभाग ही ट्रेनिंग सेंटर सरीखा बन गया है। प्रदेश का यह अकेला ऐसा विभाग है, जिसने दस वर्षों में महानिदेशक के रूप में अब तक 24 आईएएस अधिकारी देखे हैं। शिक्षकों से जुड़ा यह महकमा इतना बड़ा है कि आईएएस अधिकारियों को इसमें समझने में चार से पांच महीने लग जाते हैं। वे जब तक विभाग को समझते हैं और अपना काम शुरू करते हैं, तब तक उनके तबादलों के आदेश आ चुके होते हैं।
अब राज्य में नयी सरकार का गठन हुआ है और खट्टर सरकार ने सेकेंडरी एजुकेशन के महानिदेशक की कमान एमएल कौशिक को सौंपी है। फतेहाबाद में डीसी रहे कौशिक को भी शिक्षा विभाग को समझने में वक्त लगेगा। अब देखना यह है कि खट्टर सरकार में भी आईएएस के तबादले पहले की तरह होते हैं या फिर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को लम्बे समय तक बने रहने का अवसर मिलेगा। चौटाला सरकारके कार्यकाल से लेकर हुड्डा सरकार के दस वर्षों के कार्यकाल में इस विभाग में तबादले पर तबादले ही हुए।
माना जा रहा है कि शिक्षा विभाग में बार-बार अधिकारियों के तबादलों की वजह से शिक्षा की गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है। शिक्षक तो यह भी मानते हैं कि स्कूलों में घटिया रिजल्ट के कारणों में यह भी एक बड़ा कारण है। यही नहीं, शिक्षकों से जुड़े मुद्दे एवं मांगों पर भी कोई समाधान इसलिए नहीं हो पाता कि अधिकारी नियुक्ति के बाद ही अगले आदेशों का इंतजार करते हैं। कई आईएएस अधिकारी ऐसे भी हैं जो अपनी ‘पहुंच’ के दम पर शिक्षा विभाग से निजात पाकर अच्छे विभागों में चले जाते हैं।
वर्ष 2004 से लेकर अब तक एमएल कौशिक सहित कुल 24 आईएएस अधिकारी महानिदशेक के रूप में सेकेंडरी एजुकेशन में आए हैं। सबसे अधिक कार्यकाल अगर किसी का रहा है तो वे हैं अनुराग रस्तोगी। इसके बाद डॉ़ केके खंडेलवाल सबसे अधिक समय तक विभाग में रहे। रस्तोगी और खंडेलवाल दो-दो बार शिक्षा विभाग में आए। चौटाला सरकार के सत्ता में रहते हुए 2004 में डॉ़ आरबी लांग्यान सेकेंडरी एजुकेशन के निदेशक थे। 10 जून, 2004  को उनकी नियुक्ति हुई थी और उन्हें लगभग दो महीने ही यहां रुकने का मौका मिला। 24 अगस्त, 2004 को उनका तबादला कर दिया गया। इसके बाद तबादलों का लंबा दौर चलता रहा।                                           dt


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