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Friday, 14 November 2014

रोजगार नहीं तो जेबीटी के प्रति घटा रुझान

** आठ काउंसिलिंग के बावजूद नहीं भर सकी शिक्षण संस्थानों की सीटें 
** शिक्षकों की भर्ती में विवाद के चलते भी युवा कर रहे नजरअंदाज 
चंडीगढ़ : हरियाणा के छात्र-छात्रओं में शिक्षक बनने के प्रति रुझान कम होता जा रहा है। जेबीटी के जिस कोर्स में दाखिला लेने के लिए कभी आपाधापी मची रहती थी, उसमें अब आठवीं बार काउंसलिंग के बावजूद सीटें खाली रह गई हैं।
शिक्षक भर्ती पर लगातार उठ रहे सवालों और अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करने की अनिवार्यता को इसकी वजह माना जा रहा है। यह परीक्षा पास करीब 40 हजार लोग बेरोजगार घूम रहे हैं और 70 हजार ने जेबीटी कर रखी है, जो पात्रता परीक्षा देने की तैयारी में हैं। प्रदेश में हर साल 15 से 20 हजार छात्र जेबीटी का कोर्स करते हैं। इनमें दूसरे राज्यों के युवा भी शामिल हैं। राज्य शैक्षणिक अनुसंधान संस्थान गुड़गांव में हर वर्ष काउंसलिंग के जरिए जेबीटी करने वालों के एजुकेशन संस्थान अलाट किए जाते हैं। प्रदेश में 27 राजकीय एजुकेशन संस्थान हैं जिनमें करीब 2700 पद भरे जाते हैं। सरकारी संस्थानों में तो पहली काउंसलिंग में ही यह पद भर जाते हैं, लेकिन राज्य में 340 सेल्फ फाइनेंस (स्व वित्त पोषित) संस्थान भी हैं, जिनमें आज भी सीटें खाली हैं। प्रदेश में करीब 9300 राजकीय प्राथमिक पाठशालाएं हैं, जिनमें 14 लाख 50 हजार बच्चे पढ़ते हैं। यहां करीब 43 हजार पद स्वीकृत हैं जिसमें से करीब 32 हजार शिक्षक नियमित और 6500 अतिथि अध्यापक काम कर रहे हैं। 9870 की भर्ती का रिजल्ट आ चुका है। जो शिक्षक कार्यरत हैं उनमें से करीब 75 प्रतिशत 50 वर्ष से कम आयु के हैं, जिनकी सेवानिवृत्ति अभी दूर है। प्रदेश 40 हजार से ऊपर युवा जेबीटी की पात्रता परीक्षा पास किए हुए हैं और 70 हजार ने जेबीटी कर रखी है। ऐसे में उनके सामने नौकरी का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। पिछले 10 वर्षो से सेल्फ फाइनेंस संस्थानों के खुलने से जो स्थिति पैदा हुई है, उसके बाद एनसीटी ने कई बार संस्थानों और सीटों को सीमित करने का तर्क भी दिया है, मगर आज तक उस पर गौर नहीं किया गया।राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राज्य प्रधान विनोद ठाकरान व महासचिव दीपक गोस्वामी के अनुसार उत्पादन ज्यादा और खपत कम होने के कारण इस प्रोफेशनल कोर्स की बुरी दुर्दशा हुई है। राज्य सरकार को इस नीति पर पुन: विचार करना चाहिए। अगर यह कोर्स कुछ वर्षो के लिए बंद नहीं हुआ तो जेबीटी कर बेरोजगार घूमने वालों की संख्या लाखों में होगी। चौ. बंसीलाल की सरकार में भी काफी साल तक यह कोर्स बंद रहा था।                                          dj

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