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Saturday, 29 November 2014

हाईकोर्ट ने रद्द किया प्वाइंट सिस्टम फॉर्मूला

** दिल्ली में निजी स्कूल खुद तय करेंगे दिशा-निर्देश, ऐसा कोई साक्ष्य नहीं कि स्कूलों ने नियमों का उल्लंघन किया 
नई दिल्ली: हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों को राहत प्रदान करते हुए नर्सरी दाखिलों के लिए खुद दिशा-निर्देश तय करने का अधिकार दे दिया है। इसके साथ ही अदालत ने पिछले वर्ष लाए गए उपराज्यपाल के प्वाइंट सिस्टम फॉर्मूले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार का फैसला न तो प्रक्रिया के लिहाज से उचित है और न ही तर्कसंगत।
न्यायमूर्ति मनमोहन ने अपने फैसले में कहा कि गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को छात्रों को प्रवेश देने के अधिकार सहित प्रशासन में अधिकतम स्वायत्तता का बुनियादी अधिकार है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि बच्चों के लिए पास के स्कूल में दाखिला लेने का विकल्प होना चाहिए, लेकिन उनकी पसंद को उनके क्षेत्र के किसी एक स्कूल तक सीमित नहीं किया जा सकता। अदालत का यह भी मत है कि पास के तर्क को निजी स्कूलों ने गांगुली समिति की रिपोर्ट में दिए गए दिशा-निर्देशों के संदर्भ में और 2007 के पूर्व के दाखिला आदेश के तहत दोनों संदर्भों में बेहतर ढंग से लिया था। 
अदालत ने निजी स्कूलों के स्वायत्तता के अधिकार की मांग को स्वीकार किया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि दाखिला प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए। 
पहले यह थी व्यवस्था
पहले की व्यवस्था के तहत कुल 100 प्वाइंट में से 70 प्वाइंट तब दिए जाते थे जब बच्चा स्कूल के पास रहता हो। बाकी के 20 प्वाइंट तब दिए जाते थे जब बच्चे का कोई सगा भाई-बहन वहां पढ़ता हो। पांच अन्य प्वाइंट उस स्थिति के लिए थे जिसमें बच्चे के माता-पिता में से कोई स्कूल का पूर्व छात्र रहा हो। अन्य पांच प्वाइंट अंतर्राज्यीय स्थानांतरण के मामलों के लिए थे। प्रत्येक प्वाइंट के स्तर पर ड्रॉ किए गए। सरकार ने बाद में 27 फरवरी को एक आदेश जारी करके वे पांच प्वाइंट समाप्त कर दिए, जो अंतर्राज्यीय स्थानांतरण की स्थिति में दिए जाते थे।                                                     au

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