** 30 नवंबर को सेवानिवृत्त हो सकते हैं लगभग पांच हजार कर्मचारी
चंडीगढ़ : प्रदेश सरकार कर्मचारी वर्ग को जल्द ही बड़ा झटका दे सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के कार्यकाल में लिए गए सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष करने के फैसले का लाभ सरकार कर्मचारियों को नहीं देगी। सरकार ने 58 साल की आयु पूरा कर चुके कर्मचारियों का डाटा तैयार कर लिया है। इस महीने की तीस तारीख को लगभग पांच हजार कर्मचारियों को सेवानिवृत्त किया जा सकता है। सरकारी ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है।
प्रदेश के सभी सरकारी विभागों से सरकार ने 58 साल की आयु पूरी करने पर अगस्त, सितंबर और अक्टूबर महीने में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों की संख्या मांगी थी, जो सभी विभागों ने भेज दी है। हुड्डा सरकार ने 16 अगस्त को कैबिनेट बैठक में कर्मचारियों की सेवानिवृत्त आयु 58 से 60 वर्ष करने का निर्णय लिया था। इसी माह से निर्णय लागू भी कर दिया गया। इससे प्रदेश के लगभग साठ हजार कर्मचारी लाभांवित होने हैं, लेकिन भाजपा सरकार इसे युवा वर्ग पर कुठाराघात मान रही है। इसलिए फैसला निरस्त करने का निर्णय लिया जा चुका है, सिर्फ अधिसूचना जारी होना बाकी है।
अगस्त से अक्टूबर तक तीन महीने में पांच हजार से अधिक कर्मचारी रिटायर होने थे, जो नहीं हुए। सरकार अब उन्हें इसी माह घर भेजने का मन बना चुकी है। साथ ही कर्मचारियों को दी जा रही दो हजार रुपये की अंतिम राहत वापस लेने के भी संकेत मिले हैं।
उधर, मनोहर सरकार की इस कवायद की भनक लगते ही कर्मचारी वर्ग का पारा सातवें आसमान पर है। सर्व कर्मचारी संघ ने तो कर्मचारियों को पंजाब के समान वेतनमान व सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने आदि निर्णय वापस लिए जाने के सरकार के प्रयासों पर रोष जताया है।
संघ सरकार की नीतियों की समीक्षा और आगामी रणनीति तैयार करने के लिए रविवार को प्रदेश कार्यालय रोहतक में राज्य कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। लांबा ने कहा कि सरकार पंजाब के समान वेतनमान, सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने और अंतिम राहत देने की बजाय निर्णयों को वापस लेकर कर्मचारियों की नाराजगी बढ़ाने का काम कर रही है। db
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