चंडीगढ़ : बच्चों की देखभाल के लिए मातृत्व अवकाश लेना शिक्षा विभाग में गुनाह हो गया है। सरकारी स्कूलों में सेवाएं दे रही पांच महिला कंप्यूटर शिक्षकों ने इसका लाभ क्या उठाया? वे सड़क पर आ गईं। दो शिक्षकों को अवकाश से लौटे दस-दस महीने और तीन को पांच से छह महीने का समय गुजर चुका है, लेकिन स्कूलों में ज्वाइनिंग नहीं हो रही। सेवा प्रदाता निजी कंपनियां उन्हें ज्वाइन कराने को तैयार नहीं हैं। दो महीने पहले पांचों शिक्षकों की दोबारा सेवाएं लेने के जारी शिक्षा विभाग के आदेशों को भी अनदेखा किया जा रहा है।
महिला शिक्षक दोबारा डयूटी पर हाजिर होने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं। कंपनियों की मनमानी के आगे शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। महिला शिक्षकों को मातृत्व अवकाश की सुविधा विभाग ने ही दी हुई है। बच्चा होने पर उसकी देखभाल के लिए महिला कर्मचारी छह महीने का अवकाश ले सकती हैं, मगर इन पांचों शिक्षकों ने तो तीन-तीन महीने का ही अवकाश लिया था। जितना इन्होंने मातृत्व अवकाश नहीं काटा, उससे दो और तीन गुणा समय उन्हें घर बैठे हो गया है।
गुड़गांव की मीतिका और कंचन, यमुनानगर की प्रिया मेहता, झज्जर की ज्योति और अंबाला की मंजू का कहना है कि लंबे समय से वे विभाग और कंपनियों से ज्वाइनिंग की गुहार लगा रही हैं। दो महीने पहले तत्कालीन महानिदेशक सेकेंडरी शिक्षा विवेक अत्रे ने उत्कर्ष सोसायटी के प्रोजेक्ट समन्वयक को ज्वाइनिंग कराने के आदेश जारी कर दिए थे, बावजूद उनकी सेवाएं नहीं ली जा रहीं। वे जल्द ही शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा से मुलाकात कर न्याय की गुहार लगाएंगी। उधर, कंप्यूटर शिक्षकों का प्रोजेक्ट देख रही उत्कर्ष सोसायटी के परियोजना समन्वयक एचएस सतीजा ने कहा कि सेवा प्रदाता कंपनियों और शिक्षकों के बीच विवाद चला आ रहा है। कंपनियां विभागीय कार्रवाई का सामना कर रही हैं। dj
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