** जस्टिस दीपक सिब्बल सुनवाई से हटे
** वीरवार को यह मामला दूसरी बेंच को रेफर कर दिया गया
चंडीगढ़ : ओम प्रकाश चौटाला शासनकाल में 3206 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती के मामले की सुनवाई लटक गई है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक सिब्बल जेबीटी भर्ती के मामले की सुनवाई से हट गए हैं। जस्टिस एसके मित्तल ने यह मामला दूसरी बेंच को रेफर कर दिया है। हालांकि, सुनवाई की अगली तारीख अभी तय नहीं हुई है।
जस्टिस एसके मित्तल और जस्टिस दीपक सिब्बल के पास मामला सुनवाई के लिए आया। इससे पहले कि हरियाणा सरकार कुछ तथ्य पेश करती, बेंच ने मामला दूसरी बेंच को रेफर कर दिया।
बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि जस्टिस सिब्बल इस मामले में बेंच के मेंबर नहीं हैं, इसलिए मामला दूसरी बेंच को भेजा जा रहा है।
जस्टिस सिब्बल इस मामले में एक पक्ष की ओर से पैरवी कर चुके हैं। हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले एक सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि इन शिक्षकों के लिए कोई ठोस नीति निर्धारण में नई सरकार ही समर्थ होगी। बेंच ने कहा था कि राज्य में चुनाव होने हैं। सरकार चुनाव से पहले जल्दबाजी में कोई नीति बनाती भी है तो इसका ठोस परिणाम नहीं निकलेगा। नई सरकार इस दिशा में बेहतर नीति निर्धारण कर सकेगी।
इस टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट ने सरकार को नीति बनाने के लिए समय दिया था और शिक्षकों को हटाने पर रोक जारी रखी थी। इसके साथ सुनवाई 20 नवंबर के स्थगित की गई थी।
जेबीटी भर्ती को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। एकल बेंच ने भर्ती में अनियमितताएं मानते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का निर्देश दिया था। एकल बेंच ने कहा था कि इस मेरिट में जो नहीं आए, उन्हें नौकरी से हटा दिया जाए। इस फैसले को डिवीजन बेंच में चुनौती दी गई थी। डिवीजन बेंच ने एकल बेंच के फैसले पर रोक लगा दी थी। डिवीजन बेंच ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि वह अपने स्तर पर ही कोई बीच का रास्ता निकाले।
सरकार को दिए थे निर्देश
इस मामले में एक बार राज्य सरकार ने असमर्थता जताते हुए कोई निर्णय लेने पर हाथ खड़े कर दिए थे। सरकार ने हाईकोर्ट को ही कोई निर्णय देने का आग्रह करते हुए कहा था कि हाईकोर्ट का फैसला सरकार को मान्य होगा। तत्कालीन जस्टिस जसबीर सिंह की डिवीजन बेंच ने 15 जुलाई को हरियाणा सरकार से फैसला लेने को कहते हुए कहा था कि या तो जेबीटी को राहत दे या फिर समस्या केसमाधान को कोई ठोस नीति बनाए। बेंच ने कहा था कि नई मेरिट बनने से कई शिक्षकों की नौकरी चली जाएगी, क्योंकि उनका सेवाकाल भी एक दशक से अधिक हो चुका है। वह बेरोजगार हो जाएंगे। इस पर राज्य सरकार कोई फैसला ले। au
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