चंडीगढ़ : नो डिटेंशन पॉलिसी (कोई फेल नहीं) लागू होने के बाद पढ़ाई के प्रति लापरवाह हो चुके स्कूली बच्चों को अब साल में दो बार मूल्यांकन परीक्षा से गुजरना होगा। प्रदेश सरकार प्राथमिक स्कूलों से इसकी शुरुआत करने जा रही है। पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों की अब ब्लॉक और जिला स्तर पर छह महीने में एक बार मूल्यांकन परीक्षा होगी। स्कूल स्तर पर हेड टीचर्स मासिक तौर पर बच्चों का मूल्यांकन करेंगे। हालांकि इसमें छात्रों को पास-फेल नहीं किया जाएगा, लेकिन वे कितने पानी में हैं, इसका पूरा डाटा तैयार होगा।
छह महीने में एक बार होने वाले मूल्यांकन के छात्रों को नंबर नहीं, बल्कि ग्रेड मिलेंगे। ग्रेड से ही छात्र की पूरी हकीकत सामने आ जाएगी। हेड टीचर्स के मासिक मूल्यांकन के ग्रेड भी छमाही मूल्यांकन में जोड़े जाएंगे। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग छात्रों की शिक्षा के स्तर का अध्ययन कर विशेषज्ञों से सुधार की योजना तैयार कराएगा। कमजोर छात्रों को मेधावी बनाने के लिए शिक्षक योजना के अनुसार विशेष ध्यान देंगे। प्राथमिक स्कूलों के बाद मिडिल स्कूलों में भी छमाही और मासिक मूल्यांकन परीक्षा शुरू करने की तैयारी है। मौलिक शिक्षा महानिदेशक ने सभी खंड एवं जिला शिक्षा अधिकारियों और हेड टीचर्स को इसकी जानकारी दे दी है। देखने में आया है कि पहली से आठवीं कक्षा तक बोर्ड व अन्य परीक्षाएं खत्म होने के बाद शिक्षक और छात्र पढ़ाई के प्रति गंभीर नहीं रहे हैं। इसका असर दसवीं और बारहवीं कक्षा के परिणाम पर भी पड़ा है। पहले जहां दोनों कक्षाओं का वार्षिक रिजल्ट 70 से 75 प्रतिशत तक रहता था, वह अब पचास से साठ फीसद के बीच पहुंच गया है। फेल न होने के डर से बच्चे पढ़ाई के प्रति संवेदनशील नहीं हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रलय भी इससे वाकिफ है। मंत्रलय का सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड तो नो डिटेंशन पॉलिसी की विफलता को देखते हुए दोबारा से पांचवीं और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा शुरू करने की सिफारिश तक कर चुका है। dj
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