चंडीगढ़. प्रदेश सरकार द्वारा कर्मचारियों की रिटायरमेंट ऐज 60 से घटाकर 58 साल किए जाने के फैसले को चुनौती संबंधी याचिका पर बुधवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
इससे पहले बुधवार को मामले में अपना पक्ष रखते हुए सरकार ने कहा कि जिस कोरम को पूरा न करने की बात याची कह रहा है, नियमानुसार वो निर्देशात्मक है। उन्हें अनिवार्य नहीं माना जा सकता। ऐसे में सरकार चाहे तो मंत्रिमंडल के 12 से कम सदस्यों की मौजूदगी में भी नियम लागू कर सकती है।
याची पक्ष ने मंगलवार को कोर्ट में कहा था कि 25 नवंबर की बैठक में सरकार ने 30 नवंबर से कर्मचारियों की सेवानिवृति आयु 58 वर्ष करने का निर्णय लिया था। इस फैसले के समय कैबिनेट का कोरम पूरा नहीं था। इस तरह का निर्णय लेने के लिए नियमानुसार कम से कम 12 सदस्यों की अनिवार्यता होती है, जबकि 25 नवंबर की बैठक में मंत्रिमंडल के केवल 10 सदस्य मौजूद थे। इसके अलावा प्रदेशभर की कई यूनिवर्सिटी में रिटायरमेंट की उम्र अभी भी 60 वर्ष है। राज्य सरकार ने कर्मचारियों के साथ अन्याय करते हुए बिना किसी पूर्व जानकारी के उन्हें रिटायर कर दिया गया। ऐसे में सरकार के इस फैसले को खारिज किया जाए। db
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