चंडीगढ़ : निजी स्कूलों में गरीब बच्चों की मुफ्त शिक्षा का मामला पेंचीदा ही होता जा रहा है। स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निशुल्क शिक्षा न देने के लिए तरह-तरह के बहाने बना रहे हैं। अब स्कूलों ने प्रदेश सरकार के सहायता राशि जारी करने पर ही गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का पैंतरा चला है, जो उन पर उल्टा पड़ सकता है। कारण यह कि नियम-134ए के तहत गरीब बच्चों से निजी स्कूल सरकारी स्कूलों से अधिक फीस नहीं वसूल सकते।
शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत पहली से आठवीं कक्षा तक सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा है। नौवीं से बारहवीं तक ही सामान्य फीस वसूली जाती है। ऐसे में निजी स्कूल मनमाफिक तरीके से गरीब बच्चों से भारी-भरकम फीस नहीं वसूल सकते। स्कूलों के तरह-तरह के हथकंडों को देखते हुए गरीब बच्चों के अभिभावकों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात का निर्णय लिया है। दो जमा पांच मुद्दे जनआंदोलन के अध्यक्ष सत्यवीर हुड्डा मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय लेने के लिए प्रयासरत हैं। अभिभावकों द्वारा मुख्यमंत्री को पूरे मामले से अवगत कराया जाएगा। हुड्डा का कहना है कि निजी स्कूल मनमानी कर रहे हैं। पूर्व प्रदेश सरकार ने कभी निजी स्कूलों को गरीब छात्रों की शिक्षा का खर्च उठाने की बात नहीं कही, न ही कोई आश्वासन दिया। नियम-134ए के तहत निजी स्कूल नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों से ही सरकारी स्कूलों के समान फीस ले सकते हैं। dj
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