चंडीगढ़ : प्रदेश में 31 दिसंबर तक 1000 से ज्यादा कर्मचारी और रिटायर हो जाएंगे। मौजूदा सरकार ने इससे पहले भी रिटायरमेंट की आयु 60 साल से घटाकर 58 साल करके पिछले महीने भी 5000 से ज्यादा कर्मचारियों को सेवानिवृत्त कर दिया था।
विभिन्न विभागों में पहले ही 1.50 लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। काम का बोझ बढ़ने से कर्मचारियों में तनाव और आक्रोश पनप रहा है।
युवाओं को भी नहीं मिली नौकरी :
हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ का कहना है कि खट्टर सरकार ने रिटायरमेंट एज घटाने के वक्त दलील दी थी कि इससे युवाओं को नौकरी के ज्यादा अवसर मिलेंगे। लेकिन दो माह पूरे होने को हैं, अभी तक सरकार ने नई भर्तियां शुरू नहीं की हैं।
फिर बढ़ने लगी कर्मचारियों की धड़कन :
कैबिनेट मीटिंग के पहले ही कर्मचारियों की धड़कनें फिर बढ़ने लगी हैं। सचिवालय में चर्चाएं हैं कि सरकार 33 साल की नौकरी या 58 साल की आयु जो भी पहले हो, उस आधार पर कर्मचारियों का रिटायर करने, लीव एनकेशमेंट घटाने और 50 प्रतिशत डीए मर्ज करने जैसे फैसले कर सकती है। हालांकि वित्त विभाग के सूत्रों का मानना है कि 33 साल की नौकरी पर रिटायर करने का मामला केंद्र सरकार में चल रहा था, यहां ऐसा कोई विचार नहीं है। इसी तरह लीव एनकेशमेंट का फैसला भी पिछली तारीख से नहीं हो सकता क्योंकि यह पैसा तो कर्मचारी को उसकी बकाया छुट्टियों के बदले मिलेगा। अगर इसमें कमी करनी है तो पहले बताना पड़ेगा ताकि वह अपनी छुट्टियां ले सके।
"पैसा बचाने के लिए कर रहे रिटायर"
कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि सरकार पैसा बचाने के लिए कर्मचारी विरोधी फैसले ले रही है। पिछले माह 30 नवंबर को अचानक रिटायर किए गए 5000 से ज्यादा कर्मचारियों को अभी तक पेंशन, ग्रेच्युटी, लीव एनकेशमेंट आदि का पैसा नहीं मिला है। चूंकि पिछली सरकार रिटायरमेंट एज 60 साल कर चुकी थी और भाजपा का ऐसा कोई वायदा नहीं था कि वह सत्ता में आने पर रिटायरमेंट एज घटाएंगे तो इस कारण ही ज्यादातर कर्मचारियों ने अपने पेंशन पेपर्स भी तैयार नहीं किए थे। अब वे अपनी पेंशन, ग्रेच्युटी आदि के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। इनमें प्रत्येक कर्मचारी को औसतन 10 से 12 लाख रुपए मिलने हैं।
नई सरकार से पहले ही नाराज हैं कर्मी
प्रदेश के कर्मी पहले ही रिटायरमेंट एज घटाने और पंजाब के बराबर वेतनमान के वायदे से मुकर जाने के कारण खट्टर सरकार से नाराज हैं। अपनी मांगों को लेकर कर्मचारी संगठनों ने अपने जिलास्तरीय सम्मेलन शुरू कर दिए हैं। कई कर्मचारी संगठन आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। निजीकरण को लेकर रोडवेज कर्मचारी भी आंदोलन की तैयारी में हैं।
'दो लाख पद हैं खाली'
"हरियाणा गवर्नमेंट पीडब्ल्यूडी मैकेनिकल वर्कर्स यूनियन के प्रांतीय प्रवक्ता संदल सिंह राणा ने कहा कि मांगों को लेकर जिला स्तर पर रोष प्रदर्शन करने का फैसला किया है। उपायुक्तों को सोमवार से 22 सूत्रीय मांगपत्र दिए जाएंगे। वहीं सीटू के महासचिव एवं सांसद तपन सेन ने आरोप लगाया कि सरकार यूपीए की नीतियों पर चल रही है।"
"हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष दलबीर किरमारा का कहना है कि प्रदेश में इस समय 2 लाख पद खाली पड़े हैं। ऊपर से सरकार कर्मचारियों को रिटायर करती जा रही है। ऐसे में कर्मियों पर बोझ गया है। मानसिक तनाव बढ़ रहा है। जल्द ही आंदोलन शुरू करेंगे।"
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