** पंजाब के समान वेतनमान तो मिला नहीं, सेवानिवृत्ति आयु भी हुई कम
चंडीगढ़ : संघर्ष से शुरुआत, मध्य में सौगात और खटास के साथ अंत। अंतिम बेला में पहुंच चुका साल 2014 सरकारी कर्मचारियों के लिए कुछ ऐसा ही रहा। इस साल कर्मचारियों ने पूर्व हुड्डा सरकार में जितना पाया, भाजपा सरकार आते ही खोया भी।
हुड्डा सरकार की अंतिम बेला में मिली खुशियां नया साल आते-आते काफूर हो गईं। वर्ष की अंतिम तिमाही में बनी नई सरकार के साथ कर्मचारियों का अनुभव अब तक सुखद नहीं रहा है। मनोहर सरकार के दो महीने के कार्यकाल में कर्मचारियों को कोई बड़ी सौगात तो नहीं मिली, उल्टा लंबे संघर्ष के बाद मिले हक भी छिन गए। कर्मचारियों के लिए ये किसी आघात से कम नहीं है। नवंबर और दिसंबर में एक के बाद एक दो बड़े झटके सहने पड़े। पहला झटका पहली नवंबर से पंजाब के समान वेतनमान न मिलना तो दूसरा सेवानिवृत्ति आयु साठ से कम होकर फिर 58 वर्ष हो जाना रहा। डी श्रेणी कर्मचारी भी इससे अछूते नहीं रहे और उनकी सेवानिवृत्ति आयु भी 62 वर्ष से कम कर 60 साल ही रह गई।
सेवानिवृत्ति आयु घटने से लगभग छह हजार कर्मचारियों की नवंबर और दिसंबर में रिटायरमेंट से कर्मचारी काम के भारी दबाव में हैं। नई भर्ती पर रोक होने से मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं। सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों के लिए भी साल का अंत सुखद नहीं रहा। वे एक तो दो वर्ष पहले रिटायर हुए, दूसरा पेंशन का लाभ न मिलने से आर्थिक संकट में और घिर गए।
कच्चे कर्मचारियों के लिए भी ये साल मिलाजुला ही रहा। पूर्व सरकार ने जहां कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी की और दस वर्ष एवं साढ़े तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुके कर्मियों के लिए नियमितीकरण नीति बनाई, वहीं वर्तमान सरकार से नियमितीकरण के बजाय अब तक आश्वासन ही मिले हैं। dj
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