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Tuesday, 23 December 2014

कर्मचारियों को नारे लगाने से मतलब, ये नहीं पता सीएम कौन है?

** सिरसा में लगे हुड्‌डा मुर्दाबाद के नारे, बाद में पता लगा तो खट्‌टर को घेरा 
सिरसा : हरियाणा गवर्नमेंट पीडब्ल्यूडी मैकेनिकल वर्कर्स यूनियन के आह्वान पर जिले भर के सैकड़ों कर्मचारियों ने शहर में रोष प्रदर्शन किया। कुछ समय तो पता ही नहीं चला कि वे किसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हुआ यूं कि टाउन पार्क के पास खड़े कुछ कर्मचारियों ने हुड्डा सरकार मुर्दाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए। करीब 5 मिनट नारेबाजी करने के बाद किसी ने उन्हें बताया कि अब सीएम हुड्डा नहीं खट्टर हैं। नारे लगाने वाले सभी हंस दिए और खट्‌टर सरकार के खिलाफ करने लगे। इसके बाद कर्मचारियों के 21 सदस्यीय दल ने अपनी मांगों को लेकर सीएम के नाम का ज्ञापन डीसी निखिल गजराज को सौंपा। 
 प्रदेश महासचिव कृष्ण लाल गुर्जर के नेतृत्व में जिलाभर के करीबन 500 कर्मचारी टाउन पार्क में इकट्ठे हुए। इसके बाद उपरोक्त कर्मचारी प्रदर्शन करते हुए बाजार की आेर बढ़े। कर्मचारी प्रदर्शन करते हुए बाजार में सुभाष चौक, रोडी बाजार, परशुराम चौक, आंबेडकर चौक होते हुए पीडब्ल्यूडी कार्यालय के समक्ष पहुंचे। यहां करीबन कर्मचारियों ने 20 मिनट प्रदर्शन कर प्रदेश की भाजपा सरकार के प्रति रोष वयक्त किया। कर्मचारियों ने बताया कि पूर्व सरकारों से आंदोलन करके उन्होंने जायज मांगों को हल करवाया था। लेकिन मौजूदा भाजपा सरकार सत्ता में आते ही कर्मचारियों को पहले से मिल रही सुविधाओं को एक-एक करके वापस लेने का काम कर रही है। इसे वे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे। 
27 दिसंबर तक जारी रहेंगे प्रदर्शन 
कर्मचारियों ने बताया कि सरकार की इन कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ 27 दिसंबर तक जिला स्तर पर रोष प्रदर्शन किए जाएंगे। उसके बाद भी सरकार ने यदि बातचीत के माध्यम से मांगों का हल नहीं किया तो यूनियन की केंद्रीय कमेटी में सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई की घोषणा की जाएंगी। इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। 
पहले मिली सुविधाएं छीन रही सरकार 
भाजपा के चुनावी घोषणा-पत्र में प्रदेश के कर्मचारियों को पंजाब के समान वेतनमान देने, कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, कच्चे कर्मचारियों को डीसी रेट देने, वर्ष 1988 से भर्ती पर लगी रोक हटाने, केन्द्र के समान वेतनमान देने की बात कही गई थी। लेकिन सरकार कर्मचारियों को पहले से मिल रही सुविधाओं को वापस लेने का काम किया जा रहा है। एलटीसी, शिक्षा भत्ता, 300 छुट्टियों को 180 करने, कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने की बजाय सेवा से निकालने जैसी अनेक सुविधाओं को वापस लेने का कुचक्र रच रही है जिसे कर्मचारी कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।                      db

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