** सूची के आधार पर ही लेक्चरर प्रोन्नत होकर बनेंगे प्रिंसीपल
चंडीगढ़ : शिक्षा निदेशालय ने स्कूल लेक्चरर की संभावित कंप्यूटरीकृत वरिष्ठता सूची में गजब की लापरवाही बरती है। डाटा कंप्यूटर में चढ़ाने के दौरान हुई गड़बड़ी से सीनियर लेक्चरर को जूनियर बना दिया गया है। अनेक लेक्चरर की वरिष्ठता खत्म होने से सूची पर विवाद गहराता जा रहा है। निदेशालय इसी सूची के आधार पर लेक्चरर की प्रमोशन भी करने वाला है। इससे कई शिक्षक लेक्चरर से प्रोन्नत होकर स्कूल प्रिंसीपल नहीं बन पाएंगे। जबकि वास्तव में प्रिंसीपल के लिए उनकी वरिष्ठता बनती है।संभावित वरिष्ठता सूची पर विवाद की शुरूआत बीते महीने हुई। स्कूल लेक्चरर का रिकार्ड अभी तक कंप्यूटरीकृत नहीं था। शिक्षा निदेशालय में अतिरिक्त निदेशक एमके आहूजा ने नवंबर महीने में इसे कंप्यूटर पर चढ़ाने की शुरूआत की। इस दौरान बाकी लेक्चरर का रिकार्ड तो मिल गया, लेकिन 1991 से 94 तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भर्ती हुए लगभग आठ सौ लेक्चरर में से कई का रिकार्ड नहीं मिल पाया। एमके आहूजा ने लेक्चरर से रिकार्ड प्राप्त कर उसके आधार पर संभावित सूची तैयार कर दी। जिसे आपत्तियां मांगने के बाद अंतिम रूप दिया जाना था, लेकिन इसी बीच आहूजा का अतिरिक्त निदेशक पद से तबादला हो गया।
निदेशालय ने सूची को अंतिम रूप दिए बिना ही संभावित वरिष्ठता लिस्ट के आधार पर ही लेक्चरर के प्रमोशन केस साठ नंबर से लेकर 350 तक मांग लिए। मगर इसमें विवाद यहां पर खड़ा हो गया कि संभावित सूची में 1994 में लगे लेक्चरर को 1991 के लेक्चरर से जूनियर कर दिया गया है। वरिष्ठता में एक या दो पायदान का नहीं बल्कि डेढ़ से दो सौ का अंतर है। इससे अनेक लेक्चरर का नंबर प्रोन्नति के लिए नहीं आएगा। dj
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