** याचिकाकर्ता ने हरियाणा में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा कम करने के फैसले का गलत बताया
चंडीगढ़ : हरियाणा में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा में कटौती करने के विरोध में दाखिल याचिका पर मंगलवार को बहस शुरू हो गई है। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने पैरवी की कि सरकार नए तथ्यों के साथ पुरानी सरकार के फैसले पर पुनर्विचार कर सकती है। वैसे भी कैबिनेट पूरी नहीं है ऐसे में आयु सीमा कम करने का फैसला असंवैधानिक है।
सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा करने के बारे में सरकार ने एक जवाब बेंच के समक्ष पेश किया। उधर, याचिकाकर्ताओं के वकील राजीव आत्मराम ने कहा कि सरकार ने आयु सीमा में कटौती करने का प्रस्ताव कैबिनेट मीटिंग में डाला ही नहीं था। इस मामले पर पिछली सरकार की ओर से की गई भर्ती व नियुक्तियों के मद के तहत विचार किया गया। अधिकतर जोर इसी बात पर दिया गया कि कैबिनेट पूरी नहीं थी, ऐसे में फैसला असंवैधानिक है। इसके अलावा दलील दी गई कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा 60 साल ही है। यह भी कहा गया कि हरियाणा में ही सरकारी सहायता प्राप्त निजी कालेजों के लेक्चरारों और न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा भी 60 साल है। ऐसे में तृतीय वर्ग के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा कम करने का फैसला गलत और भेदभाव वाला है।
इस मामले पर बुधवार को बोर्ड व कारपोरेशंस के कर्मचारियों के वकील भी अपनी दलीलें रखेंगे।
उनका कहना है कि बोर्ड व कारपोरेशंस स्वायत्त बाडीज़ हैं, यह उनकी मर्जी पर निर्भर करता है कि वह सरकार का फैसला लागू करे या नहीं। सरकार सीधे तौर पर फैसला नहीं थोप सकती। इस मामले में बुधवार को सरकार भी बहस करेगी। au
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.