** केंद्रीय विद्यालय संगठन ने सर्वोच्च अदालत में हलफनामा दाखिल कर दी जानकारी
नई दिल्ली : जर्मन की जगह संस्कृत को बीच सत्र में तीसरी भाषा के तौर पर शामिल किए जाने से होने वाली परेशानी को देखते हुए सीबीएसई ने छात्रों को राहत देने का निर्णय लिया है।
केंद्रीय विद्यालय संगठन ने सोमवार को सर्वोच्च अदालत में दाखिल हलफनामे में कहा कि छठी से आठवीं तक के उन छात्रों को जिन्हें बीच सत्र में जर्मन की जगह संस्कृत को तीसरी भाषा के तौर पर लेने को कहा गया है, उन्हें अब सत्र 2014-15 में तीसरी भाषा की परीक्षा नहीं देनी होगी। सीबीएसई के नियमों के मुताबिक, तीसरी भाषा की परीक्षा पास किए बिना छात्र 10वीं की बोर्ड परीक्षा में नहीं बैठ सकते हैं। हलफनामे के मुताबिक केंद्रीय विद्यालय संगठन ने सीबीएसई को पत्र लिखकर इसमें छूट देने की अपील की थी। au
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