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Tuesday, 16 December 2014

ऐसे कैसे आयेंगे अच्छे नतीजे

रादौर : एक ओर तो सरकार शिक्षा के नाम पर तरह-तरह के दावे कर रही है वहीं दूसरी ओर हालात ऐसे हैं कि स्कूल है तो भवन नहीं, भवन है तो टीचर नहीं। हालात इतने बदत्तर हो गए हैं कि छात्रों को संबंधित विषय के टीचर भी  नहीं। इसके बाद सरकारी स्कूलों के परीक्षा परिणाम अच्छे नहीं बल्कि जीरो होंगे।
रादौर के गांव उन्हेड़ी के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में छठी से आठवीं कक्षा में 150 बच्चे हैं, लेकिन इन छात्रों को पढ़ाने के लिए कोई टीचर नहीं है। हालांकि शिक्षा विभाग द्वारा जठलाना के स्कूल से इन बच्चों को पढ़ाने के लिए गणित विषय का एक टीचर भेजा है। गणित का टीचर छठी, सातवीं व आठवीं कक्षाओं के छात्रों को अंग्रेजी, संस्कृत व हिंदी कैसे पढ़ायेगा।
वहीं गांव ठसकाखाद्दर, हड़तान व संगीपुर के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में भी कुछ इसी प्रकार के हालात हैं। गांव ठसकाखाद्दर के सरकारी स्कूल में छठी, सातवीं व आठवीं कक्षाओं को पढ़ाने के लिए संस्कृत विषय का एक गेस्ट टीचर है। यहां भी गांव करहेड़ा के स्कूल से आंतरिक व्यवस्था के लिए एक टीचर को भेजा गया है। संस्कृत का गेस्ट टीचर हिंदी तथा करहेड़ा से भेजा गया टीचर एसएस व अंग्रेजी पढ़ा रहा है, लेकिन इस स्कूल में छात्रों को गणित व साइंस पढ़ाने वाला कोई टीचर नहीं है। गांव हड़तान के स्कूल में छठी, सातवीं व आठवीं कक्षा के कोई टीचर नहीं है। हड़तान स्कूल में गांव कांजनू के स्कूल से ड्राइंग टीचर को भेजा गया है। ड्राइंग का टीचर अन्य विषय कैसे पढ़ायेगा इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
गांव संगीपुर के सरकारी स्कूल में छठी, सातवीं व आठवीं कक्षा में 95 छात्र-छात्राएं हैं। इस स्कूल में संस्कृत का गेस्ट टीचर है और यहां गांव धौलरा के स्कूल से गणित विषय के टीचर को आंतरिक व्यवस्था के तौर पर भेजा गया है।
गांव संगीपुर के स्कूल में तीनों कक्षाओं के छात्रों को अंग्रेजी व साईस पढाने वाला कोई टीचर नहीं है। बिना टीचरों के बच्चे किस प्रकार से पढाई करेगें।
क्या कहते हैं खंड शिक्षा अधिकारी
इस बारे में खंड़ शिक्षा अधिकारी रामेश्वर सैनी ने बताया कि गांव उन्हेंडी, ठसकाखाद्दर, हड़तान व संगीपुर के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में टीचरों की नियुक्ति किए जाने के लिए अनेक बार शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को पत्र लिखे गए हैं। विभाग के अधिकारियों को हर मास पत्र लिखकर अवगत कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इन चारों स्कूलों में दूसरे स्कूलों से एक-एक टीचर भेजकर आंतरिक व्यवस्था की गई है।                        dt

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