चंडीगढ़ : हरियाणा और पंजाब की प्राइवेट आईटीआई में दाखिलों पर लगी रोक बुधवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हटा दी। अब ये आईटीआई नए कोर्स में छात्रों को दाखिले दे सकेंगे। केंद्र के निर्देश पर हरियाणा और पंजाब सरकार ने सभी प्राइवेट आईटीआई संस्थानों को पत्र भेजकर री-एफिलेशन के लिए कहा था। जिन आईटीआई ने री-एफिलिएशन नहीं कराई, उन्हें नए एडमिशन देने की अनुमति नहीं दी गई।
पंजाब की प्राईवेट आईटीआई एसोसिएशन की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि संस्थानों को परमानेंट एफिलिएशन मिली हुई है।
एसोसिएशन की ओर से एडवोकेट अवनीश मित्तल ने कहा कि किसी आईटीआई को छात्रों को प्रवेश देने की मान्यता के लिए हर पांच साल में री-एफिलिएशन करवाने संबंधी दिशानिर्देश केंद्र सरकार ने जारी किए थे। ये दिशा-निर्देश हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ समेत सभी राज्यों को भेजे गए। जब किसी आईटीआई को परमानेंट एफिलिएशन मिली हुई है और उसका डी एफिलिएशन नहीं किया गया तो री-एफिलिएशन की बात ही नहीं उठती। एसोसिएशन ने सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो दिशा-निर्देश जारी हुए वह महज प्राइवेट आईटीआई के लिए हैं जबकि इन्हें सरकारी आईटीआई पर भी लागू होना चाहिए क्योंकि एफिलिएशन का प्रोसेस तो सबके लिए एक समान है। महज प्राइवेट आईटीआई पर इन्हें लागू करना भेदभाव भरा रवैया है।
इस पर जस्टिस के. कण्णन ने केंद्र से जवाब तलब करते हुए पूछा कि दिशा-निर्देशों को लेकर उसका क्या कहना है और यह केवल प्राईवेट आईटीआई पर ही क्यों लागू किए गए? साथ ही कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब में इस नियम के चलते रूके हुए दाखिलों को आरंभ करने की अनुमति दे दी। db
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