चंडीगढ़ : प्रदेश में पात्र अध्यापकों को दरकिनार कर अनुबंध आधार पर रिटायर्ड अध्यापकों की भर्ती किए जाने के सरकार के फैसले पर राज्य के पात्र शिक्षकों ने कड़ी आपत्ति दर्ज करवाई है। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से खफा पात्र अध्यापक संघ ने 13 अक्तूबर को रोहतक की छोटूराम धर्मशाला में एक प्रदेश स्तरीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में अध्यापकों की भर्ती से संबंधित तमाम पहलूओं पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
पात्र अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने बताया कि सरकार कांट्रेक्ट स्तर पर रिटायर्ड अध्यापकों की भर्ती करने का निर्णय लेकर पात्र अध्यापकों के साथ बहुत बड़ा अन्याय कर रही है।
उन्होंने कहा कि जब से हरियाणा प्रदेश में अध्यापकों की भर्ती के लिए पात्रता परीक्षा अनिवार्य की गई है उसी समय से ही पात्र अध्यापकों के साथ सरकार धोखा करती आ रही है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के भी आदेश हैं कि प्रदेश में अस्थाई भर्ती के बजाए स्थाई भर्ती की जानी चाहिए। यदि फिर भी सरकार स्थाई भर्ती होने तक अस्थाई तौर पर कांट्रेक्ट स्तर पर अध्यापकों की भर्ती करना चाहती है तो ऐसी स्थिति में भी पात्र अध्यापकों को वरीयता दी जानी चाहिए।
शर्मा ने बताया कि शीघ्र ही पात्र अध्यापक संघ का एक शिष्टमंडल प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल से मिलकर अपना विरोध दर्ज करवाएगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने भी प्रदेश में शिक्षा की गुणवता में सुधार लाने के लिए पात्र परीक्षा पास उम्मीदवारों को सरकारी स्कूलों में अध्यापक नियुक्त करने की बात कही थी लेकिन अब समय समय पर सरकार अपने किए वायदे से ही मुकर रही है। शर्मा ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार ने अपने इस निर्णय को वापिस नहीं लिया व पात्र अध्यापक संघ की बात नहीं मानी तो प्रदेश में व्यापक जन आंदोलन चलाया जाएगा।
संघ की महिला विंग की प्रदेशाध्यक्ष अर्चना सुहासिनी ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा का हब बनाने की बात कहकर सरकार ने 2008 में पूरे देश में सबसे पहले अध्यापक भर्ती के लिए पात्रता परीक्षा पास करना अनिवार्य कर दिया था। 2008 से लेकर अब तक 5 बार पात्र परीक्षा आयोजित करवाई जा चुकी है। प्रदेश में इस समय सवा लाख बेरोजगार पात्र अध्यापक स्कूलों में अध्यापक भर्ती का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ तो राइट टू एजुकेशन एक्ट लागू होने का दम भर रही वहीं दूसरी तरफ हरियाणा के सरकारी स्कूलों में 50 हजार अध्यापकों के पद रिक्त पड़े हैं लेकिन सरकार नियमित भर्ती को लेकर गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी पात्र अध्यापकों के साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपनाकर सरकार ने पीजीटी व पीआरटी की भर्ती में पात्र अध्यापकों के साथ-साथ चार वर्ष के अनुभव वाले शिक्षकों व अतिथि अध्यापकों को शामिल करके पात्र अध्यापकों के हकों पर कुठाराघात किया है। dt
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