** डाबला गांव के राजकीय में किया रात्रिकालीन पड़ाव
** अनूठे कार्यक्रम में फिल्मों से जागरूक करने का प्रयास
झज्जर : शिक्षक समाज के लिए आदरणीय व आदर्श रहा है तो उसके पीछे उसकी निस्वार्थ सेवा व मानवता सर्वोपरि होती थी।आज समाज में दर्जा घटा है उसका कारण स्वार्थपरता है। यदि हम निष्काम भाव से सरकारी स्कूल में पढऩे वाले बच्चों को पढ़ाए तो वही सम्मान फिर प्राप्त हो सकता है। हमें सरकार ने संसाधन उपलब्ध कराए हैं, इसके बाद भी हम इसे सरकारी समझकर इतिश्री करते हैं, यह हमारे लिए भी घातक है।
अपने इस अनूठे कार्यक्रम के बारे में आईएएस चंद्रशेखर ने कहा कि प्रदेश के सभी 21 जिलों में यह अभियान पहले चरण में पूरा किया जाएगा। झज्जर में यह छठा ठहराव है। इससे पूर्व विभाग के ज्वाइंट निदेशक बीआर वत्स के अलावा डिप्टी डायरेक्टर जयवीर ढांडा ने भी विभाग की गतिविधियों से अवगत कराया। शिक्षा सारथी को संपादन कर रहे डॉ प्रदीप राठौर ने शिक्षकों के सामने स्कूलों की असलियत खोल कर रख दी और चिंतन करने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि नौंवी से बारहवीं की संख्या निरंतर घटने का कारण हमारे शिक्षकों का कर्तव्य से विमुख होना है। कार्यक्रम में शिव खेड़ा के अलावा मुंबई के टिफिन वालों की मैनेजमेंट सहित अन्य उदाहरणों से प्रेरित किया गया। महरूनी फिल्म के माध्यम से जहां जीवन को आनंद व प्रसन्नता से जीने का संदेश दिया गया, वहीं अंत में गाइड फिल्म के गीत आज फिर जीन की तमन्ना है के जरिए जीवन में आगे बढ़ते रहने को प्रेरित किया।
यह सीख शिक्षा विभाग के निदेशक चंद्र शेखर ने ढाबला गांव के राजकीय स्कूल में रात्रि ठहराव कार्यक्रम के तहत करीब चार घंटे तक चले मोटिवेशनल प्रोग्राम में दी। इसमें निदेशक के अलावा विभाग के अलावा ज्वाइंट डायरेक्टर बीआर वत्स, डिप्टी डायरेक्टर जयवीर सिंह ढांडा, सहायक निदेशक डॉ प्रदीप राठौर ने मार्ग दर्शन किया। जिला शिक्षा अधिकारी साधु राम रोहिला ने यहां पहुंचने पर विभाग के अधिकारियों को स्वागत किया।
परंपरागत ढंग से अभिवादन
रात्रि ठहराव के लिए डावला के रावमावि पहुंचे चंद्रशेखर का स्कूल की एसएमसी कमेटी ने परंपरागत तरीके से निदेशक का पगड़ी बांधकर स्वागत किया। कमेटी ने निदेशक का यहां विज्ञान संकाय आरंभ करने के लिए आभार जताया वहीं रिक्त पदों पर शिक्षक भेजने की मांग की।
महिला अधिकारी रही मौजूद
इस कार्यक्रम की विशेष बात यह भी रही कि इसमें डायरेक्टऐट की चार महिला अधिकारी भी शामिल रही। रात्रि ठहराव के कार्यक्रम में आमतौर पर महिलाओं की भागीदारी नहीं रखी जाती, मगर विभाग की ओर से आयोजित इस छठे कार्यक्रम चार महिला अधिकारी शामिल रही। इनमें रमनजीत कौर, रामगिरी, सुशीला व पंघाल शामिल रही। इन चारों ने इस नए अनुभव को सराहा और इसकी सफलता के लिए सभी को शामिल होने का आह्वान किया। db
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