भिवानी : हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड ने स्टाफ स्टेटमेंट न भेजने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए परीक्षाओं के लिए बच्चों के रोलनंबर न भेजने का निर्णय लिया है। इसके तहत 46 स्कूलों के रोलनंबर रोक लिए गए हैं। इस पर बोर्ड की ओर से सफाई दी गई है कि अध्यापकों की जिम्मेदारी है कि वे तमाम औपचारिकताएं पूरी करें, अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो कार्रवाई तो होगी। जिन स्कूलों पर कार्रवाई की गई है, उनके द्वारा सत्र की शुरुआत में भेजी जाने वाली स्टाफ स्टेटमेंट नहीं भेजी गई है अब इसका खमियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश भर के हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से संबद्ध हर स्कूल को हर बार सत्र शुरू होने के साथ ही स्टाफ स्टेटमेंट भेजनी होती है, यह बोर्ड के द्वारा अनिवार्य किया गया है क्योंकि इसी स्टेटमेंट के आधार पर ही बोर्ड के द्वारा परीक्षाओं में ड्यूटी लगाई जाती हैं। हर बार ऐसा देखने में आता है कि अधिकांश स्कूल स्टाफ स्टेटमेंट नहीं भेजते। जिस कारण परीक्षा ड्यूटी लगाते समय बोर्ड को खासी परेशानी होती हैं। मगर इस बार बोर्ड की ओर से ऐसे स्कूलों के बच्चों के ही रोल नंबर रोक दिए गए हैं।
अगर प्रदेश भर के स्कूलों की बात करें तो 350 स्कूलों के रोल नंबर्स रोकने का निर्णय बोर्ड प्रशासन ने लिया था, इनमें से कई स्कूलों ने अपने स्टाफ की स्टेटमेंट भेज दी मगर बोर्ड की ओर से बार-बार आगाह किए जाने के बावजूद 46 स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने अब तक स्टेटमेंट भेजना जरूरी नहीं समझा। ऐसे स्कूलों के बच्चों के बोर्ड परीक्षाओं के रोलनंबर्स ही रोकने का निर्णय बोर्ड के द्वारा लिया गया है।
बोर्ड की इस कार्रवाई के बाद प्रदेश के ये 46 स्कूल क्या कदम उठाते हैं, यह बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए चिंता का विषय है लेकिन परीक्षा ड्यूटी से बचते हुए स्टाफ स्टेटमेंट न भेजने वाले स्कूलों का कदम गलत ठहराया जा रहा है।
टीचर्स की जिम्मेदारी है, डयूटी पूरी करें: बोर्ड सचिव
बोर्ड सचिव पंकज ने इस निर्णय की पुष्टि करते हुए बताया कि जिन स्कूलों के बच्चों के रोलनंबर्स रोके गए हैं उनके द्वारा जानबूझकर या मनमानी करते हुए स्टाफ स्टेटमेंट नहीं भेजी गई है तथा बार-बार उन्हें ऐसा करने के लिए निर्देश दिए जाने के बावजूद उन्होंने निर्देशों की अनुपालना नहीं की। जिस कारण ऐसा कदम उठाने पर बोर्ड मजबूर हुआ है। जब उनसे पूछा गया कि विद्यार्थियों को खमियाजा क्यों भुगतना पड़े तो उनका कहना था कि अध्यापकों की जिम्मेदारी है कि वे विद्यार्थियों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए तयशुदा समय पर तमाम औपचारिकताएं पूर्ण करें। उन्होंने बताया कि 350 स्कूलों के रोलनंबर्स रोके गए थे मगर अब 46 स्कूल ऐसे बचे हैं जिन्होंने बार- बार कहने के बावजूद कदम नहीं उठाया। dt
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