चंडीगढ़ : केंद्र सरकार का साक्षर भारत मिशन वित्तीय संकट की मार ङोल रहा है। इसके तहत अनुबंध पर कार्यरत छह हजार शिक्षा प्रेरकों को बीते 20 माह के वेतन की अदायगी नहीं हुई है। वेतन न मिलने पर प्रेरकों ने 15 मार्च को तय मिशन की बुनियादी परीक्षा न होने देने का अल्टीमेटम दिया है। प्रेरकों ने प्रदेश सरकार को 28 फरवरी तक का अल्टीमेटम दिया है।
साक्षर भारत मिशन के तहत छह हजार प्रेरकों की नियुक्ति अगस्त 2012 में हुई थी। शुरुआत में इन्हें एक वर्ष के लिए अनुबंध पर रखा गया, लेकिन बाद में अनुबंध 2017 तक बढ़ा दिया। जून 2013 तक के वेतन का भुगतान तो प्रेरकों को हो चुका है, लेकिन इसके बाद केंद्र से हरियाणा सरकार को मिशन के लिए बजट का आवंटन ही नहीं हुआ। बजट आवंटन न होने का कारण मिशन प्रोजेक्ट का काम देख रहे अधिकारियों द्वारा केंद्र सरकार को 2012-13 और 2014 का फंड उपयोगिता का प्रमाण पत्र न भेजना है। प्रोजेक्ट अधिकारियों की चूक का खामियाजा प्रेरक भुगत रहे हैं और उन्हें हर माह मिलने वाला दो हजार रुपये वेतन अटका हुआ है। हरियाणा शिक्षा प्रेरक संघ के प्रदेश अध्यक्ष भगवत कौशिक ने बताया कि बुनियादी साक्षरता परीक्षा वर्ष में दो बार अगस्त और मार्च माह में राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण हरियाणा द्वारा आयोजित कराई जाती है। इसमें शिक्षा प्रेरकों द्वारा साक्षर किए गए 15 से 80 वर्ष के नवसाक्षरों की परीक्षा होती है। प्रोजेक्ट का काम देख रहे अधिकारियों ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अगर समय पर उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजे गए होते तो ये नौबत नहीं आती। एक तो वेतन नहीं मिल रहा उपर से प्रधानमंत्री जन-धन योजना के खाते खुलवाने व स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोगों को शौचालय बनाने के लिए प्रेरित करने का काम भी उन्हें सौंप दिया। dj
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