करनाल : प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग मिलकर शैक्षणिक ढाचे को तहस नहस करने का प्रयास कर रहे है, ताकि शिक्षा को पूंजीपतियों के हवाले किया जा सके। यह आरोप हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के पूर्व राज्य सचिव कृष्ण कुमार निर्माण, पूर्व जिला प्रधान नरेद्र चोपड़ा, बलराज सिंह, खंड प्रधान मुनीष कांबोज व महेद्र सिंह दादूपुर रोड़ान ने लगाए।
उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से आए दिन तुगलकी फरमान जारी किए जा रहे है। प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाओं को अब दोबारा लेने के फरमान जारी किए गए हैं। यही नहीं स्कूल कैलेंडर से लगातार छेड़छाड़ की जा रही है। सभी शिक्षकों को पढ़ाने की वीडियोग्राफी करवाई जा रही है। कभी पढ़ाई के दिनों में सेमिनार आयोजित किए जा रहे है। मासिक परीक्षाओं के नाम पर शैक्षणिक दिवसों में कमी करके शिक्षा अधिकार कानून की धज्जिाया उड़ाई जा रही है। तरह-तरह के दिवसों व कार्यक्रमों के नाम पर छात्रों को शिक्षण से भटकाया जा रहा है जोकि एक षडयंत्र के तहत किया जा रहा है, जिसे किसी भी कीमत पर कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने माग की कि अगर सरकार व विभाग ऐसे निर्णय लेना बंद नहीं करेगे तो संघ को विवश होकर आरपार का आदोलन करना पड़ेगा। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि पूर्व में आदोलन करके प्राप्त की गई सुविधाओं को भी छीना जा रहा है। अध्यापक नेताओं ने माग की कि अगर सरकार वास्तव में जन शिक्षा हितैषी है तो तत्काल अव्यवहारिक निर्णय वापस लें। अनुबंध अध्यापकों को पक्का करे व कंप्यूटर अध्यापकों को विभाग के अधीन करे। विभाग में खाली पड़े 50 हजार पदों पर स्थाई भर्ती की जाए, नवनियुक्त अध्यापकों को नियुक्ति पत्र दे, सेमेस्टर प्रणाली वापस ले व शिक्षा अधिकार कानून सही ढग से लागू किया जाए। dj
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