रेवाड़ी : शिक्षक पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की हर महीने परीक्षा लेंगे तथा उसका रिकॉर्ड भी ऑनलाइन करेंगे। हकीकत ये है कि रिकॉर्ड ऑनलाइन करने के लिए स्कूलों में न तो इंटरनेट व्यवस्था है और न ही इसके लिए बजट का प्रावधान। इसलिए शिक्षकों को जेब से ही खर्चा कर विद्यार्थियों का रिकॉर्ड ऑनलाइन करना पड़ रहा है। गत् माह शिक्षकों को रिकॉर्ड ऑनलाइन करने के आदेश थे, अब विभाग की आेर से फरवरी महीने के टेस्ट के रिकॉर्ड भी ऑनलाइन करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
एक बच्चे के रिकॉर्ड पर 10 रुपए खर्चा
शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2009-10 में आरटीई (शिक्षा का अधिकार) नियमों का हवाला देकर कक्षा पहली से आठवीं तक परीक्षाएं नहीं लेने का निर्णय किया गया था। इसके बाद विद्यार्थियों की परीक्षाएं आयोजित नहीं की जाती, उन्हें औपचारिक रूप से पास घोषित कर दिया जाता है। अब विभाग ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों के मंथली टेस्ट लेने के आदेश जारी किए। परीक्षाओं की लिए बाकायदा डेट शीट जारी की गई है तथा प्रदेशभर में 28 से 31 जनवरी तक परीक्षाएं आयोजित की गई। इसके साथ ही शिक्षकों को परीक्षाओं का रिकॉर्ड ऑनलाइन करने के भी निर्देश दिए गए। मगर सरकारी स्कूलों में इंटरनेट की व्यवस्था नहीं होने के कारण शिक्षकों को साइबर कैफे आदि से ही रिकॉर्ड ऑनलाइन करना पड़ रहा है। यानी अपनी जेब से ही डाटा ऑनलाइन करने का खर्च शिक्षक दे रहे हैं। अब विभाग की ओर से फरवरी माह की परीक्षाएं अगले सप्ताह तक आयोजित किए जाने के निर्देश दिए हैं। इनके साथ ही हर महीने होने वाली परीक्षाओं के परिणाम शिक्षक ऑनलाइन करेंगे। समस्या ये है कि एक बच्चे का रिकॉर्ड ऑनलाइन करने के लिए 10 रुपए का खर्च रहा है। वहीं विभाग की ओर से इसके लिए किसी तरह के बजट का भी प्रावधान नहीं किया गया है।
"शिक्षकों को मंथली टेस्ट के बाद रिकॉर्ड ऑनलाइन कराना है। विभाग की ओर से अभी इस बारे में किसी बजट के निर्देश नहीं हैं। शिक्षकों की मांग से उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया जाएगा, क्योंकि इस बारे में निर्णय उच्च स्तर से ही लिया जाना है।"-- रामपालसिंह सांगवान, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी। db
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