** बोर्ड का रिजल्ट सुधारने के लिए की जा रही है पहल, 9वीं और 11वीं कक्षा के विद्यार्थियाें पर लागू होगी
धारूहेड़ा (रेवाड़ी) : सरकारी स्कूलों में बोर्ड के रिजल्ट को सुधारने के लिए क्लास के शिक्षक की बजाय दूसरे सेक्शन के शिक्षक से कॉपी मार्किंग करवाई जाएगी। इस बार 9वीं व 11वीं के शिक्षक अपने विद्यार्थियाें की कॉपी चेक नहीं कर सकेंगे। शिक्षा विभाग स्कूलाें में मार्किंग स्टैंडर्ड सुधारने के लिए यह पहल करने जा रहा है। अधिकांश विद्यार्थी 9वीं व 11वीं में टॉपर रहने के बावजूद बोर्ड परीक्षा में फेल हो रहे हैं।
बोर्ड परीक्षा की तर्ज पर सरकारी स्कूल भी अब होम एग्जाम में सख्ती बरतने के मूड में है। यही वजह है कि स्कूल अब 9वीं और 11वीं के पेपर बोर्ड एग्जाम के पैटर्न पर तैयार कर रहे हैं। इसके अलावा इन क्लास के सब्जेक्ट टीचर अब अपने क्लास की कॉपियां चेक नहीं कर पाएंगे। सभी टीचर्स उन सेक्शन की कॉपियां चेक करेंगे, जिन सेक्शन में वे नहीं पढ़ाते हैं। इसमें सबसे ज्यादा 9वीं क्लास के एग्जाम पर ध्यान दिया जाएगा। इसका एक कारण पहली से 8वीं तक बच्चों को क्लास में फेल न करना भी है। ऐसे में स्टूडेंट्स 9वीं क्लास में जैसे-तैसे पास हो जाते हैं, लेकिन 10वीं बोर्ड में फेल हो जाते हैं। जिस कारण हरियाणा बोर्ड का 10वीं का रिजल्ट साल दर साल गिरता जा रहा है।
कम मार्क्स पर भी कर देते हैं पास
अक्सर शिकायत आती है कि 9वीं क्लास के सब्जेक्ट टीचर कम मार्क्स होने के बावजूद अपने स्टूडेंट्स को पास कर देते हैं। 9वीं पास विद्यार्थी कमजोर होने के कारण दसवीं में फेल हो जाता है। इसी तरह 11वीं के शिक्षक भी ऐसा ही कर रहे हैं। 11 वीं के बच्चाें को 12 वीं की बोर्ड परीक्षा में इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। अधिकांश टीचर अपने रिजल्ट को ठीक रखने या फि र अपने संपर्क के चलते बच्चाें को फेल होने के बाजवूद भी पास कर देते हैं।
नौवीं में टॉपर, दसवीं में फेल
पिछले साल प्रदेश के बीस से अधिक बच्चाें के नाम सामने आए हैं जो कि 9वीं में टॉप रहे, लेकिन 10वीं की बोर्ड परीक्षा में फेल हो गए। इनमें से तीन विद्यार्थी धारूहेड़ा के हैं। सू़त्राें का कहना है ऐसे विद्यार्थियो की विभाग की ओर से अपने स्तर पर जांच भी करवाई गई तो सामने आया कि क्लास टीचराें की ओर से कमजोर विद्यार्थियाें को अधिक अंक देकर पास किया जाता है।
स्टाफ का अभाव आएगा आडे़
जिन स्कूलाें में स्टाफ का अभाव है, वहां पेपर मार्किंग के लिए स्कूल मुखिया को परेशानी झेलनी पडे़गी। या फिर किसी दूसरे स्कूल के स्टाफ से सहायता लेनी होगी। देखना यह है कि विभाग अपनी इस योजना को किस स्तर तक परवान चढ़ा पाता है। जिले में गत वर्ष 9वीं और 11वीं का रिजल्ट 98 फीसदी था, जबकि जिले में बोर्ड का रिजल्ट 85 फीसदी भी नहीं पहुंच पाया था।
"शिक्षा विभाग को ऐसे कोई लिखित आदेश नहीं मिले हैं, लेकिन अभी हाल में आयोजित हुई बैठक में इस तरह की योजना बनाई गई है। शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए यह पहल सराहनीय है।"--संगीता यादव, डीईओ, रेवाड़ी au200215
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