** बदलाव : स्कूल के टीचर नहीं विभाग द्वारा नियुक्त सर्वेयर करेंगे कॉपी की जांच
** मंथली टेस्ट के नियमों में विभाग कर रहा बदलाव
शिक्षा विभाग द्वारा 5 वर्ष पहले शिक्षा के अधिकार नियमों का हवाला देकर कक्षा पहली से आठवीं तक परीक्षाएं आयोजित नहीं होने और विद्यार्थियों को औपचारिक रूप से पास घोषित करने की परंपरा चल निकली थी। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ना शुरू हो गया था। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षा विभाग ने समीक्षा के बाद अपने नियमों को बदलना शुरू कर दिया है। प्रधान सचिव के दो माह पूर्व दिए गए निर्देशानुसार अब पहली से 8वीं कक्षा के विद्यार्थियों के मंथली टेस्ट के नियमों में बदलाव किया गया है। अब शिक्षा विभाग खुद इन कक्षाओं के पेपर तैयार करेगा तथा उत्तरपुस्तिकाओं की जांच भी शिक्षकों से कराकर विभाग द्वारा नियुक्त किए जाने वाले सर्वेयर्स करेंगे। इसके लिए एससीईआरटी की ओर से जिला शिक्षा अधिकारियों जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी किया जा चुका है।
शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2009-10 में आरटीई (शिक्षा का अधिकार) नियमों का हवाला देकर कक्षा पहली से आठवीं तक परीक्षाएं नहीं लेने का निर्णय किया गया था। इसके बाद विद्यार्थियों की परीक्षाएं आयोजित नहीं की जाती, उन्हें औपचारिक रूप से पास घोषित कर दिया जाता है। जनवरी से विभाग द्वारा इन कक्षाओं के मंथली टेस्ट लिए जाने के आदेश जारी किए, जिनके परिणाम विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन करने थे। इस समय प्रदेशभर के स्कूलों में कक्षा पहली से 8वीं तक के फरवरी के भी मंथली टेस्ट चल रहे हैं।
जनवरी और फरवरी दोनों ही माह के टेस्ट पेपर खुद क्लास के शिक्षकों ने ही तैयार किए हैं। मगर दो दिन पूर्व ही एससीईआरटी गुड़गांव द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि विद्यार्थियों के पत्र खुद शिक्षा विभाग द्वारा तैयार किए जाएंगे। इसके बाद पहली से पांचवीं तक की परीक्षाएं 12 मार्च से 17 मार्च तक होंगी। वहीं कक्षा 6 से 8वीं तक की परीक्षाएं 20 मार्च से शुरू होकर 28 मार्च तक चलेंगी।
परीक्षा में आएगा पूरे साल का सिलेबस
निर्देशोंमें स्पष्ट किया गया है, इन वार्षिक परीक्षाओं के लिए शिक्षा सत्र 2014-15 के दौरान पूरे साल में पढ़ाए गए सिलेबस में से ही पेपर तैयार किए जाएंगे। इससे विद्यार्थियों के साथ ही शिक्षकों को भी चिंता सताने लगी है। क्योंकि आमतौर पर हर साल औपचारिक रूप से पास किए जाने के कारण स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई इस स्तर तक नहीं हो पाई है कि वे वार्षिक परीक्षा दे सकें। ऐसे में पूरा सिलेबस 12 दिन में ही शिक्षकों के लिए तैयार करा पाना तथा बच्चों के लिए याद कर पाना चुनौती होगा। पूरे साल का सिलेबस परीक्षा में दिए जाने के कयासों के बीच शिक्षक संघ ने भी इसे जल्दबाजी बताया। संघ पदाधिकारियों का कहना है कि यदि पूरे साल का सिलेबस आता है तो बच्चे इतनी जल्दी तैयारी कैसे कर पाएंगे। वैसे भी पढ़ाई सेमेस्टर वाइज चलती है, इसलिए द्वितीय सेमेस्टर का ही सिलेबस आना चाहिए।
बोर्ड की तरह होंगी परीक्षाएं
परीक्षाओं के लिए बढ़ती सख्ती से पढ़ाई में हो रही खानापूर्ति पर भी लगाम लग सकेगी। पहले शिक्षक ही पेपर तैयार करते थे तथा खुद ही उत्तर-पुस्तिकाओं को भी जांचते थे। इससे बच्चे पढ़ाई को तथा कई शिक्षक शिक्षण को गंभीरता से नहीं लेते थे। अब खुद विभाग द्वारा पेपर तैयार करने तथा विभाग द्वारा ही नियुक्त सर्वेयर्स द्वारा उत्तरपुस्तिकाओं की जांच किए जाने के आदेशों से शिक्षा में हो रही लापरवाही खानापूर्ति पर अंकुश लगने की उम्मीद जगी है। वहीं परीक्षा के दौरान नकल पर भी रोक लगाई जाएगी।
मुख्यालय से अभी निर्देश नहीं मिले: डीईईओ
"मार्चमें शिक्षक नहीं बल्कि विभाग द्वारा ही पेपर तैार कर भेजे जाएंगे। इसके लिए प्रधान सचिव द्वारा दो माह पूर्व बैठक में निर्देश दिए थे। हालांकि अभी तक उन्हें लिखित निर्देश नहीं मिले हैं, जैसे ही गाइडलाइन आएंगी, स्कूलों को निर्देश दे दिए जाएंगे।" --- आरपी सांगवान, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी। dbrwd
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