** फैसला : 134 के मामले में हाईकोर्ट ने रद्द की प्रदेश सरकार पुनर्विचार याचिका
** हरियाणा सरकार को 10 प्रतिशत सीटों के लिए 5 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार वहन करना होगा
चंडीगढ़ : नियम134 के तहत प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश पाने वाले बच्चों की फीस का भुगतान करने पर हरियाणा सरकार को एक बार फिर से निराशा हाथ लगी है। हरियाणा सरकार ने नियम 134 के तहत प्राईवेट स्कूलों में प्रवेश पाने वाले बच्चों की फीस का भुगतान सरकार को करने के आदेशों पर दोबारा विचार करने की मांग की थी जिसे हाईकोर्ट ने अस्वीकार कर दिया है।
ऐसे में अब हरियाणा सरकार को 10 प्रतिशत सीटों के लिए 5 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार वहन करना होगा। जस्टिस राजेश बिंदल ने पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कोई लाभ देने से इंकार कर दिया है। मामला प्राईवेट स्कूलों में नियम 134 के तहत 10 प्रतिशत सीटों पर गरीब बच्चों के दाखिलों से जुड़ा है। हरियाणा सरकार ने नियम 134 जारी करते हुए प्राईवेट स्कूलों को उनकी 10 प्रतिशत सीटों पर गरीब बच्चों को प्रवेश देने की अनिवार्यता का प्रावधान किया था। इस प्रावधान के तहत स्कूलों को इन 10 प्रतिशत सीटों के लिए कोई फीस चार्ज नहीं करने का आदेश जारी किया गया था।
प्राईवेट स्कूलों की ओर से इस मामले में हाईकोर्ट में दस्तक दी गई थी। हाईकोर्ट ने मामले में आदेश जारी करते हुए हरियाणा सरकार को इन 10 प्रतिशत सीटों के लिए प्राईवेट स्कूलों को फीस रीइंबर्समेंट के आदेश दिए थे। हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट के इन आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिए थे कि वे हाईकोर्ट जाकर पुनर्विचार याचिका दाखिल करें। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप हरियाणा सरकार ने हाइकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी।
फैसला बच्चों के हित में, सरकार को मानना चाहिए : सतबीर
हरियाणा सरकार ने पुनर्विचार याचिका में कहा कि नियम के तहत फीस भुगतान करने का कोई प्रावधान ही नहीं है और वैसे भी सरकार द्वारा रियायती दर पर उपलब्ध करवाई गई जमीनों पर स्कूल चल रहें हैं ऐसे में स्कूलों की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे इन बच्चों को मुफ्त पढ़ाएं और किसी भी प्रकार की फीस लें। इस मामले को लेकर दो जमा पांच मुद्दे जन आंदोलन के अध्यक्ष वकील सतबीर सिंह हुड्डा की तरफ से हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की गई जिस पर हरियाणा सरकार को कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। हुडा ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला बच्चों के पक्ष में है और सरकार को इसे स्वीकार करना चाहिए। db
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