हिसार : फर्जी डिग्री के आधार पर हांसी के एक सीनियर सेकंडरी स्कूल में 16 साल तक नौकरी करने वाले शिक्षक भारतभूषण को अतिरिक्त सेशन जज चंद्रशेखर की अदालत ने बुधवार को तीन साल की सजा सुनाई। अदालत ने आरोपित शिक्षक पर साढ़े तीन हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। उच्च न्यायालय में अपील के लिए जमानत पर रिहा कर दिया। हांसी के मॉडल टाउन निवासी अधिवक्ता धर्मपाल सिंह ने विजिलेंस में शिकायत की थी कि डाटा गांव के सीनियर सेकंडरी स्कूल में कार्यरत शिक्षक गोल कोठी निवासी भारतभूषण की बीएससी और एमए की डिग्री फर्जी हैं। उसने वर्ष 1997 में नौकरी पाई थी। जांच में विजिलेंस टीम ने पाया कि उसकी डिग्रियां मगध यूनिवर्सिटी से लाई गई थी। इन डिग्रियों को रतिया में बीईओ के पद पर कार्यरत शिक्षक के पिता धर्मपाल सिंह ने सत्यापित किया था।
इस पर विजिलेंस ने पिता-पुत्रों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने दोनों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।
इस प्रकरण की सुनवाई अतिरिक्त सेशन जज चंद्रशेखर की अदालत में हुई। सुनवाई के दौरान कई गवाह पेश हुए। अदालत ने गवाहों के बयानों और साक्ष्यों का परीक्षण के बाद आरोपित शिक्षक को दोषी करार दिया था। उसके पिता को बरी कर दिया था। अदालत ने बुधवार आरोपित शिक्षक को तीन साल की सजा सुनाई और जुर्माना किया। फैसले के बाद शिक्षक की ओर से तत्काल अदालत में जुर्माने की राशि साढ़े तीन हजार रुपये जमा करा दी। इसके बाद शिक्षक की ओर से उसके अधिवक्ता द्वारा अगली अदालत में अपील के लिए शिक्षक को जमानत पर रिहा किए जाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया। अदालत ने प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद शिक्षक को जमानत पर रिहा किए जाने के आदेश दिए। db
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