नई दिल्ली : दिल्ली सरकार से सहायता प्राप्त स्कूलों की नीति की समीक्षा
होगी। इन स्कूलों पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद संतोषजनक परिणाम न
मिलने पर सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है। सरकार ने तीन सदस्यीय समिति
का गठन किया है, जो हितधारकों की राय के आधार पर सहायता प्राप्त स्कूलों की
नीति की समीक्षा कर दो माह के भीतर रिपोर्ट देगी।
दिल्ली सरकार 211
स्कूलों को सहायता दे रही है। वर्ष 2015-16 में सरकार ने इन स्कूलों पर
390 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इतनी धनराशि खर्च करने के बावजूद उनके नतीजे
संतोषजनक नहीं हैं। बेहतर परिणाम के विषय में जब सवाल किया जाता है तो
स्कूलों के प्रबंधन में स्वायत्ता की बात की जाती हैं। शिक्षकों की शिकायत
रहती है कि बिना शिकायत तंत्र के स्कूल प्रबंधन अनुचित निर्णय थोपता है।
अभिभावक भी संसाधनों, शिक्षकों की गुणवत्ता पर नाखुशी जाहिर करते हैं। इन
सभी पहलुओं को देखते हुए सरकार ने सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया
है।
उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के निर्देश पर शिक्षा
निदेशालय ने मानव संसाधन विकास मंत्रलय के प्राथमिक शिक्षा विभाग के पूर्व
निदेशक अमित कौशिक की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है। समिति के दो
अन्य सदस्यों में शिक्षा निदेशालय में विशेष निदेशक (एक्ट-2) शशि कुशाल,
एजुकेशन गवर्नेस टास्क फोर्स दिल्ली डॉयलॉग कमीशन के सदस्य हेमंत पोथुला
शामिल हैं।
ऐसे काम करेगी समिति :
तीन सदस्यों वाली यह समिति सहायता
प्राप्त स्कूलों के लिए बनी वर्तमान नीति की जांच करेगी। समिति दिल्ली
स्कूल एजुकेशन एक्ट एंड रूल्स (1973) के प्रांसगिक प्रावधानों की जांच
करेगी, जिससे कि छात्रहितों के संबंध में लंबी अवधि तक कारगर समाधानों की
सिफारिश की जा सके। कमेटी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से हितधारकों से
मुलाकात करेगी और उनका पक्ष लेगी। आम नागरिक व स्कूलों से जुड़े हितधारक
समिति को सीधे अपने विचारों से अवगत करा सकते हैं।
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