चंडीगढ़ : शिक्षा विभाग द्वारा जारी की 3336 कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती पर तलवार लटकती नजर आ रही है, क्योंकि पहले से ही अनुबंध पर कार्य कर रहे करीब 2600 शिक्षकों ने इस भर्ती को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की तैयारी कर ली है।
पिछले वर्ष भाजपा सरकार के लिए करीब 8 महीने तक सिरदर्द बन चुके शिक्षकों को सरकार ने सितम्बर में दोबारा नौकरी पर रखकर राहत दी थी मगर अब सरकार द्वारा नई भर्ती निकालकर इस बार फिर से शिक्षकों और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनती नजर आ रही है।
हालांकि, सरकार ने इन शिक्षकों को 31 मार्च तक ही नौकरी पर रखा था, मगर साथ ही सरकार ने जल्द से जल्द नियमित भर्ती का वादा भी किया था मगर अब नियमित की जगह एक बार फिर से अनुबंध के आधार पर भर्ती करने का फैसला कर लिया है। इससे एक बार से सरकार और शिक्षकों के बीच टकराव की स्थिति पैदा होने के आसार है।
नई भर्ती में भी मौका नहीं देना चाहती सरकार
कंप्यूटर शिक्षकों का कहना है कि अब सरकार की मंशा पूर्व से कार्य कर रहे शिक्षकों को नई भर्ती में शामिल नहीं करने का पूरा मन बना लिया है क्योंकि नई भर्ती में सरकार ने योग्यता को कम कर दिया है। भर्ती के अनुसार शिक्षक के लिए बीसीए, बीएससी और अन्य स्नातक की डिग्री की मांग की गई है।
हालांकि, हाल ही में कार्य कर रहे कंप्यूटर शिक्षकों की योग्यता मांगी गई भर्ती से कहीं ऊपर है। संघ के प्रवक्ता सुरेश नैन का कहना है कि हम लोगों की योग्यता बीटेक, एमटेक, एमसीए आदि है जो कि इस भर्ती की योग्यता से कहीं ज्यादा है मगर फिर भी हम इस भर्ती में फॉर्म अप्लाई नहीं कर पा रहे। इससे साफ़ जाहिर होता है सरकार की मंशा अनुभवी लोगों को रोजगार देने की नहीं है।
हाई कोर्ट में देंगे चुनौती ...
कंप्यूटर शिक्षक संघ के प्रदेश प्रधान बलराम धीमान का कहना है कि सरकार ने एक बार फिर से प्रदेश के हजारों शिक्षकों को बेरोजगार बनाने का मन बना लिया है। धीमान ने कहा कि हम इस भर्ती को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे और हमें पूरी उम्मीद है माननीय न्यायालय से हमें राहत मिलेगी।
कानूनी पक्ष है मजबूत
संघ के प्रधान धीमान ने बताया कि पिछले वर्ष सरकार ने हमें 31 मार्च तक अनुबंध के आधार पर नौकरी पर रखा था मगर साथ ही कंप्यूटर शिक्षकों की नियमित भर्ती करने की बात भी कही थी। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार सरकार ठेके पे भर्ती कर ही नहीं सकती क्योंकि ठेके पे भर्ती करने से कर्मचारी का शोषण होता है दूसरी तरफ हाई कोर्ट के अनुसार अनुबंध को अनुबंध में बदला ही नहीं जा सकता ।
इसके बावजूद हरियाणा सरकार इसका प्रयास कर रही है। धीमान ने बताया कि पिछले वर्ष भी सरकार ने इस तरह का प्रयास किया था जिसको हमने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी और माननीय न्यायालय ने हमारे हक में फैसला लिया था। एक बार फिर से इस भर्ती को कानूनी रूप से चुनौती दी जाएगी। db17:07pm
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