प्रावइेट स्कूल नहीं लगा रहे थे नौवीं व
ग्यारहवीं की कक्षाएं
अक्सर देखने में आता है कि प्राइवेट स्कूलों का
परीक्षा परिणाम इतना बेहतर क्या आता है। इसका कारण था कि प्राइवेट स्कूल
संचालक नौवीं व ग्यारहवीं की कक्षाएं ही नहीं लगा रहे थे। विद्यार्थी
द्वारा आठवीं कक्षा पास करने पर दसवीं कक्षा की किताबें लगा देते तो दसवीं
पास विद्यार्थियों को बारहवीं की किताबें पढ़नी पड़ती।
एक ही कक्षा की दो
साल किताबें पढ़ने से स्कूल का रिजल्ट भी सरकारी स्कूलों की अपेक्षा अच्छा
रहता है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। स्कूल संचालक को अब नौवीं व ग्यारहवीं
का परीक्षा परिणाम सार्वजनिक करना होगा।
शिक्षा विभाग ने जारी किया पत्र
नौवीं व ग्यारहवीं के प्रश्न पत्र बोर्ड द्वारा उपलब्ध करवाये गये थे। अब
शिक्षा विभाग ने अपने पत्र क्रमांक 19/62-2015एसई पत्र जारी करते हुए लिखा
है कि 80 अंक के पेपर में 20 अंकों का डिवाईडेशन किया है । इसमें मंथली
टेस्ट, हॉफ ईयरली सीसीई मार्क्स, प्रोजेक्ट वर्ग, क्लाश पार्टिशिपेशन के
अंक निर्धारित किये है। इन अंकों को उदाहारण देकर पत्र में अच्छी तरह से
समझाया गया है व पूरे परीक्षा परिणाम का सरकारी स्कूलो को रिकॉर्ड रखना
होगा। पत्र में मासिक मूल्यांकन के 12 अंक, अर्धवार्षिक परीक्षा के 4 अंक,
प्रोजेक्ट आधारित 2 अंक, परीक्षा कक्ष के 2 अंक, इस प्रकार से 100 अंक
बनाने के दिशा निर्देश जारी किये है।
"सभी स्कूलों को पत्र जारी कर दिया गया है। पत्र मे जो नियम बताये गये है
उसी के अनुसार वे परीक्षा परिणाम तैयार करें ताकि स्कूलों का सच सबके सामने
आ सके। अगर किसी भी स्कूल ने कोई गड़बड़ी की तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।"-- दयानंद सिहाग, उपजिला शिक्षा अधिकारी। djfthbd
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