यमुनानगर : जेबीटी के लिए चयनित होने के बाद भी 9455 लोग बेरोजगार हैं। 19 महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें आज तक सरकार ने नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया। नियुक्ति पत्र के लिए वे दर दर भटक रहे हैं। लेकिन कोई उनकी बात नहीं सुन रहा। सीएम से लेकर मंत्रियों तक को गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिल पाए। रविवार को अम्बाला मंडल के चयनित जेबीटी ने रोड मार्च निकाला और विधायक घनश्यामदास अरोड़ा को ज्ञापन देने उनके कार्यालय पर पहुंचे, लेकिन वहां पर विधायक नहीं मिले। उन्होंने नायब तहसीलदार जयभगवान को ज्ञापन दिया। चयनित टीचरों ने चेतावनी दी है कि मंगलवार से वे पंचकूला में आमरण अनशन शुरू करेंगे। उनके परिवार के सदस्य भी वहां पर पहुंचेंगे। अगर आमरण अनशन से बात नहीं बनी तो वहीं पर आत्मदाह कर लेंगे। पंचकूला में 97 दिन से उनका धरना पहले ही चल रहा है।
चयनित टीचर सर्वप्रीत संधू और नवीन शर्मा ने कहा कि 14 अगस्त 2014 को लिस्ट आउट हुई, लेकिन नियुक्ति पत्र देना सरकार भूल गई। 29 मार्च 2015 को सीएम से मिले। उन्होंने वायदा किया कि 77 दिन में उन्हें नियुक्ति पत्र दे दिए जाएंगे, लेकिन तक भी पत्र नहीं मिले। 31 जुलाई 2015 को फिर सीएम से मिले। तब भी आश्वासन मिला, लेटर नहीं।
कहीं और भी प्रयास नहीं कर पा रहे:
प्रदर्शन में शामिल नीशा रानी, मीनू, विजय, प्रदीप, सुरेंद्र, ममता, रेनू, रीना ने बताया कि सरकार ने उन्हें बीच में फंसा दिया है। पहले तो कांग्रेस सरकार ने उसके साथ धोखा किया और अब भाजपा सरकार भी उनकी बात नहीं सुन रही है। दो साल हो गए नियुक्ति पत्र के इंतजार में, लेकिन उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिला। इसके चलते वे कहीं और नौकरी का प्रयास भी नहीं कर पा रहे हैं। रोजगार मिलने के बाद भी बेरोजगार हैं। उन्हें समझ नहीं रहा है कि क्या किया जाए। अब उनसे और इंतजार नहीं होता। उनकी उम्र भी निकली जा रही है। उनका कहना है कि सरकार एक तरफ तो बेरोजगारी खत्म करने की बात करती है वहीं दूसरी तरफ उन्हें नियुक्ति पत्र देकर रोजगार नहीं दे रही। सभी चयनित टीचर कड़ी मेहनत के बल पर चयनित हुए हैं।
रिश्ते तक बीच में फंस गए कई के
कुछ चयनित टीचर ने बताया कि चयनित लिस्ट में नाम आने पर उनके रिश्ते आए। कुछ के रिश्ते भी नौकरी के चक्कर में हो गए, लेकिन नियुक्ति पत्र मिलने से रिश्ते भी बीच में फंसे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने ऐसा फंसा दिया है कि तो नौकरी ही मिल रही है और रिश्ता हो रहा है। अब उनके सामने आमरण अनशन पर बैठने आत्मदाह करने का रास्ता ही बचा है। क्योंकि अगर रिश्तेदारी में जाते हैं तो रिश्तेदार एक ही बात पूछते हैं कि नौकरी मिली या नहीं। नौकरी मिलने से कुछ तो तनाव में चल रहे हैं। db
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.