** मनोहर और रामबिलास के जिलों में मुखियाओं की सबसे अधिक कमी
** 1 अप्रैल से 20 हजार नए शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया होगी शुरू
चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार एक तरफ स्कूलों के खराब रिजल्ट को लेकर
चिंतित है, दूसरी तरफ तीन हजार से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जो बिना मुख्य
अध्यापकों और प्रधानाचार्यों के चल रहे हैं। सबसे खराब स्थिति मुख्यमंत्री
मनोहर लाल के करनाल और शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा के महेंद्रगढ़
जिलों की है। सीएम के जिले में 314 और शिक्षा मंत्री के जिले में 268 स्कूल
ऐसे हैं, जिनमें मुखिया नहीं हैं। एनसीआर के पलवल व फरीदाबाद और उत्तर
हरियाणा के कुरुक्षेत्र तथा यमुनानगर जिलों में भी हालात काफी खराब हैं।
मध्य हरियाणा के हिसार व जींद के साथ-साथ फतेहाबाद के स्कूलों में भी मुख्य
अध्यापक और प्रधानाचार्यों की कमी बनी हुई है।
प्रदेश के 2433 प्राथमिक
स्कूल बिना मुख्य अध्यापकों के काम कर रहे हैं, जबकि 647 वरिष्ठ माध्यमिक
विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें प्रधानाचार्य नहीं हैं। यह सभी पद पदोन्नति से
भरे जाने हैं, लेकिन शिक्षकों की वरिष्ठता को लेकर विवाद है। हाईकोर्ट ने
पिछले दिनों वरिष्ठता पर रोक लगा दी थी, जिस कारण सरकार को खाली पद भरने
में दिक्कतें आ रही थीं। हाईकोर्ट ने अब इस रोक को हटा लिया है, जिसके चलते
नए सत्र से इन स्कूलों को मुखिया मिलने की आस बंध गई है। गुड़गांव,
पंचकूला और सोनीपत तीन जिले ऐसे हैं, जहां पर मुख्य शिक्षक निर्धारित से
अधिक हैं।
स्कूल मुखियाओं और शिक्षकों की कमी का मुद्दा विधानसभा में भी
उठ चुका है। इनेलो विधायक रवींद्र बलियाला ने स्कूल मुखियाओं की कमी तो
भाजपा विधायक असीम गोयल ने शिक्षकों की कमी के मुद्दे पर विधानसभा में
सरकार को घेरा। शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने एक अप्रैल से राज्य
में शिक्षकों की नई भर्ती का एलान किया है। सरकार नए सत्र के लिए 20 हजार
शिक्षकों की भर्ती करने जा रही है। dj
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