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Thursday, 6 July 2017

योजना : स्कूलों में खेल प्रांगण सुधारने को आएगी ‘लक्ष्मी’

** हाई स्कूलों को 2500 व सीनियर सेकेंडरी को 4000 रुपये देगी सरकार
हिसार : प्रदेश के स्कूलों में खेल प्रागंण को व्यवस्थित रखने के लिए अलग से बजट दिया जा रहा है। इसके तहत राजकीय हाई स्कूलों को 2500 रुपये और राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को 4000 रुपये प्रतिवर्ष दिए जाएंगे, ताकि वह अपने स्तर पर खेल प्रागंण से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर सकें। शिक्षा विभाग की ओर से निर्देश भी दिए गए हैं कि प्रत्येक स्कूल को हर माह खेल प्रागंण में एक एक्टिविटी करवानी होगी। साथ ही प्राचार्य को बजट राशि का पूरा ब्योरा अपडेट रखना होगा। 
इतना ही नहीं शिक्षा विभाग की ओर से एकेडमिक मॉनीटरिंग टीम भी बनाई जाएगी, जो विभिन्न स्कूलों में जाकर खेल प्रागंण की व्यवस्था की जांच रिपोर्ट तैयार करेगी। अगर रिपोर्ट में कोई स्कूल इस पर खरा नहीं उतरता है तो उसके मुखिया पर गाज गिरना स्वाभाविक है। वहीं रिपोर्ट में अव्वल आने वाले स्कूल को 20 हजार रुपये इनाम के तौर पर दिए जाएंगे। इसके अलावा जांच टीम को भी निरीक्षण के दौरान उस स्कूल में त्रिवेणी लगाना अनिवार्य होगा। अकसर देखा जाता है कि सरकारी स्कूलों के खेल प्रागंण की व्यवस्था काफी खराब होती है। ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो अधिकांश स्कूलों के पास खेल प्रागंण तो होते हैं लेकिन उनको व्यवस्थित रखने के लिए बजट नहीं होता है, जिस कारण वहां पर एक भी एक्टिविटी नहीं हो पाती है। ऐसे में शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों के खेल के मैदानों को सुधारने के लिए विशेष बजट जारी किया है।
इन बातों का रखना होगा ध्यान 

  • पौधे की व्यवस्था 
  • झूले की मरम्मत की व्यवस्था 
  • स्टेज बाउंडरी वॉल 
  • पानी की व्यवस्था 
  • लाइट का प्रबंध 
  • बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था 
  • उपकरणों का प्रबंध 

"सरकारी हाई व सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के खेल प्रागंण की व्यवस्था सुधारने के लिए विशेष बजट का प्रावधान किया गया है, ताकि उनमें पढ़ने वाले बच्चों को खेल मैदान की सुविधा मिल सकें। बजट जल्दी ही स्कूलों के मुखिया को दे दिया जाएगा।"--अजट बल्हारा, प्रोग्राम ऑफिसर कम स्टेट नोडल ऑफिसर
खिलाड़ियों को मिलेगा बढ़ावा 
खेल मैदान की व्यवस्था सुधरती है तो सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली खिलाड़ियों को सबसे बड़ा फायदा होगा। अक्सर देखा जाता है कि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे खेल मैदान न मिलने से अपने हुनर को निखार नहीं पाते हैं और वह खेल में पिछड़ने लगते हैं। अगर बजट मिलने से खेल प्रागंण सुधरता है तो खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को निखार सकेंगे।

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